बैंकों के शुद्ध लाभ में 5.5 फीसदी की वृद्धि संभव | अभिजित लेले / मुंबई January 12, 2021 | | | | |
कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रभाव के बावजूद सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंक दिसंबर 2020 (वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही) समाप्त तिमाही के दौरान शुद्ध लाभ में 5.5 फीसदी की वृद्धि (सालाना आधार पर) दर्ज कर सकते हैं। ब्लूमबर्ग के आकलन के अनुसार, तिमाही के दौरान बैंकों के शुद्ध राजस्व में महज 1.8 फीसदी की वृद्धि दिख सकती है।
अनुमान बताते हैं कि निजी क्षेत्र के ऋणदाता सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकअब भी एकीकरण की प्रक्रिया में व्यस्त हैं जो 1 अप्रैल, 2020 को शुरू हुई थी। ब्याज दरों में भारी कटौती, पुनर्गठन और विशाल अतिरिक्त नकदी की चुनौतियों से बैंकों का प्रदर्शन प्रभावित होगा। बैंकरों ने कहा कि जिस पैमाने पर पुनर्गठन का पैमाना पहले के अनुमान के मुकाबले कम रहा है। इससे आंशिक तौर पर बैंकों को प्रावधान के बोझ से राहत मिलेगी लेकिन डूबते ऋण में वृद्धि भी हो सकती है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, ऋण पुनर्गठन का शुरुआती अनुमान 5 से 8 फीसदी था जबकि ऋण पुनर्गठन की मात्रा 2.5 से 4.5 फीसदी रहने की संभावना है। भारत में बैंकों के लिए परिसंपत्ति की गुणवत्ता का दबाव कम रह सकता है। शुद्ध गैर-निष्पादित आस्तियां (शुद्ध एनपीए) मार्च 2022 (वित्त वर्ष 2022) तक घटकर 2.5 फीसदी रहने के आसार हैं जबकि मार्च 2021 में यह आंकड़ा 3.1 रहने का अनुमान है। एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के कारण परिसंपत्ति गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों की फिलहाल सही तस्वीर नहीं दिखेगी क्योंकि ऋण अदायगी में छूट की अवधि (अगस्त 2020) के पूरा होने के बाद कुछ चूक को एनपीए की श्रेणी में रखने पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी गई है। कारोबार (ऋण वितरण) निश्चित तौर पर दूसरी तिमाही के मुकाबले बेहतर रहा लेकिन वैश्विक महामारी के कारण हुए आर्थिक व्यवधान का प्रभाव काफी बड़ा है।
तीसरी तिमाही के दौरान इस साल त्योहारी सीजन भी रहा जिससे खुदरा ऋण कारोबार को रफ्तार मिली। इसके अलावा सरकार की गारंटी वाली योजनाओं से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के ऋण को बल मिला। हालांकि पिछले साल के मुकाबले अब भी ऋण बाजार की रफ्तार सुस्त बनी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 18 दिसंबर 2020 तक बैंक ऋण में सालाना आधार पर 6.1 फीसदी की वृद्धि हुई। यह एक साल पहले के मुकाबले 7.1 फीसदी कम है।
घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने तीसरी तिमाही के प्रदर्शन के पूर्वावलोकन में कहा है कि ऋण की अधिक लागत और ऋण वृद्धि में सुस्ती से निजी ऋणदाताओं की आय पर निकट भविष्य में दबाव बरकरार रहने की आशंका है।
|