मुद्रा बाजार की बढ़ी संपत्तियों से चिंता | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई January 12, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले कुछ महीनों के दौरान मुद्रा बाजार, म्युचुअल फंडों जैसी वित्तीय संपत्तियों में हुई बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई है। बैंक नियामक ने पाया कि केंद्रीय बैंक द्वारा महामारी को देखते हुए नकदी डालने से सावधि दरों में तेज गिरावट आई है। जमा पर लाभ घटने के साथ एमएमएमएफ के तहत संपत्तियां बढ़ी हैं, जो मुनाफे की तलाश का संकेत है।
आज जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा, 'संस्थागत निवेशकों द्वारा इस तरह के जोखिम लेने, खासकर लक्षित मुनाफा कमाने के लिए गैर नकदी निवेश से वित्तीय भेद्यताएं बन सकती हैं और वित्तीय स्थिरता पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।'
एसोसिएशन आफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों से पता चलता है कि इस तरह के मुद्रा बाजार फंडों का प्रबंधन के तहत शुद्ध संपत्ति बढ़कर दिसंबर में 96,210 करोड़ रुपये हो गई, जिसमें अप्रैल के 59,512 करोड़ रुपये की तुलना में 61 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि एमएमएमएफ का अतिरिक्त मुनाफा पहली तिमाही में ऋणात्मक होने के बाद अब सामान्य होना शुरू हो गया है, जिससे उनकी निवेश पूंजी में नकदी संपत्तियों के बढ़े अनुपात का पता चलता है। डेट म्युचुअल फंडों के पोर्टफोलियो में नकदी संपत्तियों की हिस्सेदारी मार्च 2020 से बढ़ी है और यह नवंबर 2020 के अंत में सकल एयूएम का 39 प्रतिशत हो गया है, जिससे एहतियाती आवंटन का पता चलता है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि एमएफ ने दीर्घावधि कर्ज को लेकर तरजीह दिखाई है, जबकि इक्विटी शेयर भी रखा है। इस तरह डेट और इक्विटी में लगातार होल्डिंग से इक्विटी बाजार से ऋण बाजार और इसके विपरीत बेचलने की सहूलियत मिलती है। इनके एक दूसरे से जुड़े रहने वाली प्रकृति से ऐसी बिकवाली से पूरी वित्तीय व्यवस्था में संपत्ति बाजार के झटकों की क्षमता होती है।
शीर्ष बैंक ने जोर दिया है कि म्युचुअल पंडों व बीमा कंपनियों द्वारा गैर बैंक क्षेत्र में अहम स्थान होने की वजह से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की तरह उनका आकलन करने की जरूरत है।
अगर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र की ओर धन की आवाजाही के हिसाब से देखें तो म्युचुअल फंड व्यवस्था में सबसे बड़े फंड प्रदाता हैं, उसके बाद बीमा कंपनियों का स्थान आता है। वहीं एनबीएफसी फंडों के सबसे बड़े प्राप्तकर्ता एनबीएफसी होते हैं और उसके बाद एचएफसी का स्थान आता है। पिछले एक साल में वित्तीय व्यवस्था से एमएएफ की प्राप्तियों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। वहीं पीएसबी और बीमा कंपनियों की प्राप्तियां बढ़ी हैं, जो प्रमुख फंड प्रदाता हैं।
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