बैंकों का सकल एनपीए हो सकता है दोगुना | अभिजित लेले और रघु मोहन / मुंबई January 11, 2021 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दिसंबर 2020 के वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में कहा है कि बैंक का सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए) सितंबर 2021 तक बढ़कर 13.5 फीसदी पर पहुंच सकता है। 2019-20 की समान अवधि में यह 7.5 फीसदी था। यही नहीं अगर बैंकिंग तंत्र पर दबाव ज्यादा बढ़ा तो यह 14.8 फीसदी तक भी पहुंच सकता है। नियामकीय राहतों को वापस लेने की स्थिति में बैंकों पर दबाव बढ़ेगा और उन्हें अपनी पूंजी बढ़ानी होगी।
आरबीआई द्वारा सोमवार को जारी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में कहा गया है, 'आर्थिक परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता और पुनर्गठन के उपयोग को देखते हुए अनुमानित अनुपात में बदलाव हो सकता है।' इससे संकेत मिलता है कि आरबीआई के राहत उपायों से बैंकों में दबाव की सही तस्वीर का पता नहीं चल सकता है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, 'वित्तीय परिसंपत्तियों का बढ़ा हुआ मूल्य वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करता है। बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों को इसका संज्ञान लेने की आवश्यकता है।' सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर इसका सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है और उनका सकल एनपीए अनुपात सितंबर 2021 तक 16.2 फीसदी बढ़ सकता है जो सितंबर 2020 में 9.7 फीसदी था। ज्यादा गंभीर स्थिति में यह 17.6 फीसदी तक पहुंच सकता है। पूंजी पर्याप्तता पर भी इसका असर पड़ेगा। सिस्टमैटिक पूंजी पर्याप्तता सितंबर 2021 में घटकर 14 फीसदी रहने का अनुमान है जो पिछले साल सितंबर में 15.6 फीसदी था। ज्यादा दबाव की स्थिति में यह 12.6 फीसदी तक घट सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'दबाव परीक्षण के परिणाम बताते हैं कि अगर शेयरधारकों द्वारा कोई पूंजी निवेश नहीं किया गया तो चार बैंक सितंबर 2021 तक न्यूनतम पूंजी स्तर को पूरा करने में विफल हो सकते हैं। बेहद दबाव की स्थिति में न्यूनतम पूंजी स्तर को पूरा नहीं कर पाने वाले बैंकों की संख्या 9 तक पहुंच सकती है।'
रिपोर्ट में तत्काल बैंकों में पूंजी डालने पर जोर नहीं दिया गया है लेकिन कहा गया है कि महामारी के जोखिम से बैंकों के बहीखातों में संपत्ति का मूल्य घट सकता है और पूंजी की कमी हो सकती है, खासकर महामारी के दौरान दिए गए नियामकीय राहतों को वापस लेने से ऐसा हो सकता है। दास ने कहा कि बैंकों को पूंजी जुटाने पर ध्यान देना चाहिए और कारोबार मॉडल में बदलाव लाने चाहिए।
आरबीआई ने भारत में बैंकिंग के रुझान एवं प्रगित पर अपनी रिपोर्ट (2019-20) में भी इसका उल्लेख किया था। उसमें कहा गया था कि सितंबर 2020 में सकल एनपीए अनुपात 7.5 फीसदी रह सकता है।
|