'अनाज खरीद की न्यूनतम मात्रा की गारंटी दे सरकार' | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली January 11, 2021 | | | | |
कृषि कानूनों को लेकर महीने भर से ज्यादा समय से चल रहे किसानों का विरोध प्रदर्शन खत्म करने के लिए अर्थशास्त्रियों ने नरेंद्र मोदी सरकार से कहा कि वह किसानों से खरीद की न्यूनतम मात्रा की गारंटी दे और ठेके की खेेती केे नियमन के लिए एक संस्था बनाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय व नीति आयोग के अधिकारियों के साथ बजट पूर्व बैठक में अर्थशास्त्रियों ने दीर्घावधि पत्र लाकर वित्तीय बचत बढ़ाने के बीच संभावना तलाशने पर भी जोर दिया है, जो इन दिनों कम मांग के दौर में तीन गुना बढ़ी है। अधिकारियों ने कहा कि अर्थशास्त्रियों ने सरकार को सलाह दी है कि कानून में मात्रा संबंधी प्रावधान डाला जाना चाहिए, जिससे कि किसानों के साथ चल रहा गतिरोध खत्म किया जा सके।
सुझावों के बारे में बात करते हुए अधिकारी ने कहा, 'सरकार हर साल एक तय मात्रा में खरीदारी करती है। इसके लिए एक प्रावधान किया जाना चाहिए कि सरकार कम से कम उतनी मात्रा में अनाज खरीदेगी, जितनी खरीद पिछले साल हुई थी। अगर आप कीमत के बजाय मात्रा संबंधी गारंटी देते हैं तो इससे तमाम समस्याएं हल हो जाएंगी।'
गेहूं की सरकारी खरीद कुल उत्पादन का 25-30 प्रतिशत रही है, वहीं धान की खरीद 30-40 प्रतिशत होती है।
इस समय सरकार द्वारा फसल की खरीद में ढेरों विसंगतियां हैं। उदाहरण के लिए पंजाब से धान की खरीद 11 दिसंबर तक 55 प्रतिशत थी, जबकि राज्य इस फसल की खेती में तीसरे स्थान पर है। पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में इस दौरान क्रमश: शून्य और 8 प्रतिशत खरीद हुई है।
अर्थशास्त्रियों का यह भी सुझाव है कि ठेके की खेती के नियमन के लिए मलेशिया की फेडरल लैंड डेलवपमेंट अथॉरिटी (फेल्डा) की तर्ज पर एक संस्थान का गठन होना चाहिए और प्राइस डिस्कवरी होनी चाहिए। फेल्डा की स्थापना 1 जुलाई, 1956 को भूमि विकास अध्यादेश के तहत हुई थी, जिसका लक्ष्य भूमि का विकास और रीलोकेशन तथा पाम ऑयल और रबर की खेती के माध्यम से गरीबी उन्मूलन है। मौजूदा ठेके की खेती के कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
शुक्रवार को सरकार व किसानों के बीच आठवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी। दोनों पक्ष उच्चतम न्यायालय की ओर देख रहे हैं और जनवरी में 15 तारीख को फिर बातचीत का फैसला किया है। शीर्ष न्यायालय संभवत: अगले सप्ताह कानून की वैधता और विरोध प्रदर्शन के मसले पर सुनवाई करेगा।
प्रदर्शनकारी किसान और केंद्र सरकार कानून वापस लिए जाने और एमएसपी की कानूनी गारंटी देने के मसले पर अगली बैठक के पहले कई विकल्पों पर विचार करेंगे। बैठक में अर्थशास्त्रियों ने आयुष्मान भारत योजना में चिकित्सकों के टेली विजिट को शामिल करने का भी सुझाव दिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि कंप्यूटर टैबलेट के मुफ्त या सब्सिडी दरों पर वितरण से डिजिटल एजूकेशन का प्रसार होगा। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य, एनसीएईआर के डायरेक्टर जनरल शेखर शाह, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पानगडिय़ा, मौद्रिक नीति समिति के पूर्व सदस्य रवींद्र ढोलकिया, न्यू डेवलपमेंट बैंक के पूर्व चेयरमैन केवी कामत, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन विवेक देवराय मौजूद थे।
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