बैंकों के फंसे कर्ज पर बाजार की राय जुदा | |
हंसिनी कार्तिक / मुंबई 01 10, 2021 | | | | |
बैंकिंग सेक्टर में परिसंपत्ति गुणवत्ता के बारे में अनुमानों को लेकर दलाल पथ और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की राय अलग अलग दिख रही है।
दिसंबर में प्रकाशित आरबीआई की रिपोर्ट 'ट्रेंड ऐंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया' में इस बात पर जोर दिया गया कि आरबीआई के गवर्नर का मानना है कि परिसंपत्ति गुणवत्ता चिंताएं बैंकों के लिए अभी बरकरार रह सकती हैं। रिपोर्ट में इस क्षेत्र के सालाना प्रदर्शन की गणना की गई है।
हालांकि दलाल पथ का नजरिया अलग है और उसका मानना है कि इस क्षेत्र ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है, जिस वजह से बैंकिंग शेयरों में रेटिंग बदलाव को गलत नहीं ठहराया जा सकता।
शेयर बाजार में लगातार आई तेजी से निफ्टी बैंक सूचकांक के कमजोर प्रदर्शन में बदलाव आया है, जो अब सालाना आधार पर 2 प्रतिशत से ज्यादा ऊपर है।
जहां निजी क्षेत्र में बड़े नाम -एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, और बजाज फाइनैंस तथा एचडीएफसी लिमिटेड जैसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनिया (एनबीएफसी) - नई ऊंचाइयां छू रही हैं, जबकि अपेक्षाकृत छोटे बैंक जैसे इंडसइंड बैंक, आरबीएल बैंक, और फेडरल बैंक पिछले साल में 50-80 प्रतिशत की भरपाई कर चुके हैं।
पिछले सप्ताह, कई विदेशी ब्रोकरेज फर्मों - मैक्वेरी कैपिटल, बोफा सिक्योरिटीज, केडिट सुइस, और सीएलएसए ने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर अपनी उम्मीदें बढ़ाईं और उन्होंने इसके लिए तेज सुधार तथा परिसंपत्ति गुणवत्ता में उम्मीद से बेहतर बदलाव का हवाला दिया। मैक्वेरी कैपिटल के विश्लेषकों ने कहा, 'हमने वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 के लिए निजी बैंकों के संदर्भ में कम उधारी लागत संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए अपने आय अनुमानों में 16-35 प्रतिशत तक और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के लिए 80-150 प्रतिशत तक का इजाफा किया है।'
ब्रोकर दो वजहों - मोरेटोरियम के तहत कम ऋण के पुनर्गठन, और संग्रह क्षमता में सुधार - से अपनी उधारी लागत घटा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या विश्लेषक जल्द और काफी ज्यादा हद तक आशान्वित हो गए हैं। ट्रेंड ऐंड प्रोग्रेस रिपोर्ट में कहा गया है, 'सितंबर 2020 के अंत में 7.5 प्रतिशत के नरम सकल गैर-निष्पादित आय (एनपीए) अनुपात के साथ हालात में सुधार आया है। आरबीआई के इनकम रिकॉग्नाइजेशन ऐंड ऐसेट क्लासीफिकेशन मानकों के आधार पर एनपीए में वृद्घि परिसंपत्ति गुणवत्ता के अभाव में काफी ऊंची रहेगी। कोविड की वजह से पैदा हुई अनिश्चितता और उसके वास्तविक आर्थिक प्रभाव को देखते हुए, बैंकिंग प्रणाली की परिसंपत्ति गुणवत्ता काफी प्रभावित हो सकती है।'
इस प्रभाव की मात्रा वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) में पता चलेगी, जो इसी सप्ताह आनी हे। जुलाई 2020 की एफएसआर में सकल एनपीए अनुपात मौजूदा हालात को ध्यान में रखकर वित्त वर्ष 2020 के 8.5 प्रतिशत से बढ़कर 12.5 प्रतिशत और ज्यादा खराब स्थिति के मामले में 14.7 प्रतिशत हो जाने का अनुमान जताया गया। आगामी रिपोर्ट के पिछली से ज्यादा अलग नहीं होने की संभावना के साथ आरबीआई द्वारा सकल एनपीए अनुमान बाजार की उम्मीद के मुकाबले करीब 250-350 आधार अंक ज्यादा रहने की आशंका जताई गई है। यह अंतर तीन मुख्य कारकों की वजह से हो सकता है।
पहला, ट्रेंड ऐंड प्रोग्रेस रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि प्रणाली-स्तर पर 40 प्रतिशत मोरेटोरियम के साथ बैंकों को विश्लेषकों द्वारा कवर किया गया, जिसमें पीएसबी में एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा ने मोरेटोरियम 18 प्रतिशत से नीचे दर्ज किया। इसी तरह की स्थिति एनबीएफसी के लिए है।
बैंकिंग शेयरों पर नकारात्मक रुख अपनाने वाले एक फंड प्रबंधक ने कहा, 'माना जा रहा है कि छोटे नामों में दबाव बना हुआ है, जिससे बड़ी कंपनियां भी प्रभावित हो रही हैं, और बाजार द्वारा फिलहाल इसकी अनदेखी की जा रही है।'
दूसरा, बोफा सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का मानना है कि, पुनर्गठन प्रवाह को लेकर स्थिति ज्यादा स्पष्ट नहीं है। पिछले 8-10 प्रतिशत के अनुमानों की तुलना में, रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पुनर्गठन ऋण कुल के 6 प्रतिशत से कम हो सकते हैं, जो मोरेटोरियम आंकड़े से भी कम है। इसलिए, अब सवाल यह है कि क्या बैंक एनपीए के मोर्चे पर ताजा दबाव को दूर करेंगे और इसके लिए प्रावधान करेंगे। तीसरा, विश्लेषकों द्वारा इस बिंदु को नजरअंदाज किया है कि दूसरी तिमाही में सर्वोच्च न्यायालय के गतिरोध के बिना, एनपीए पहचान निजी बैंकों के लिए 10-40 आधार अंक और पीएसबी के लिए 20-60 आधार अंक ज्यादा रहेगी। दिसंबर एनपीए पर बगैर प्रतिबंधों वाली वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही साबित हो रही है और बाजार इसे लेकर जल्दबाजी दिखा सकता है।
फंड प्रबंधक ने उपर्युक्त बिंदुओं के हवाले से कहा है कि हर बार विश्लेषकों ने आरबीआई की चिंताओं को नजरअंदाज किया है। हालांकि उनका मानना है कि पूंजी बैंकिंग शेयरों में आती रहेगी, लेकिन बड़े घरेलू संस्थागत कारोबारी मुनाफावसूली के लिए अवसर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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