इस साल 7.7 फीसदी घटेगी जीडीपी | अभिषेक वाघमारे / पुणे January 07, 2021 | | | | |
कोविड महामारी का देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी पहले अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद में 7.7 फीसदी की गिरावट आने का अंदेशा जताया गया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में देश की अर्थव्यवस्था में इतनी बड़ी गिरावट पहली बार आएगी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय का अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के 7.5 फीसदी संकुचन के अनुमान के करीब है। अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वालों का अनुमान है कि सालाना वास्तविक जीडीपी वृद्घि ऋणात्मक 6.5 से ऋणात्मक 9.9 फीसदी रह सकती है।
सरकार के अनुमान के अनुसार नॉमिनल जीडीपी में 4.2 फीसदी का संकुचन आएगा। आम बजट के लिहाज से अग्रिम अनुमान महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इन्हीं आंकड़ों के आधार पर मौजूदा कीमत पर अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्घि दर का आकलन किया जाता है। साथ ही राजकोषीय घाटा, कर के आंकड़े आदि की गणना में भी यह अहम होता है।
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, 'हाल के महीनों में उच्च आवृत्ति वाले संकेतक आर्थिक गतिविधियों में सुधार को दर्शाते हैं। विकसित देशों की तुलना में महामारी का बेहतर तरीके से प्रबंधन करने से आर्थिक गतिविधियों में सुधार देखी जा रही है।'
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में निवेश में 14.5 फीसदी की गिरावट आएगी, वहीं निजी उपभोक्ता व्यय 9.5 फीसदी घट सकता है। सरकार का व्यय बढ़ेगा।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में केंद्र और राज्यों का व्यय ज्यादा नहीं बढ़ा था। अग्रिम अनुमान के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार दूसरी छमाही में व्यय बढ़ा रह है। नवंबर के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं जब सरकार का खर्च 48 फीसदी बढ़ा था। केंद्र और राज्यों द्वारा वित्त वर्ष 2021 के बाकी बचे महीनों में पूंजीगत व्यय बढ़ाने से आर्थिक सुधार को और गति मिल सकती है।
भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि निवेश में कमी और सरकारी व्यय की वृद्घि धीमी रही है।
विनिर्माण क्षेत्र में 9.4 फीसदी की गिरावट आएगी, वहीं सेवा क्षेत्र में 8.3 फीसदी का संकुचन देखा जा सकता है। लेकिन सेवा क्षेत्र के तहत वित्तीय सेवाओं और रियल एस्टेट में 0.8 फीसदी ही संकुचन आ सकता है, जो इस क्षेत्र में उम्मीद से बेहतर सुधार को दर्शाता है। आंकड़ों के अनुसार व्यापार, आतिथ्य, परिवहन और संचार सेवाओं में 21.4 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
कृषि क्षेत्र में सकल मूल्यवद्र्घन में 3.5 फीसदी की वृद्घि दर्ज की जाएगी लेकिन अन्य रोजगार उन्मुख क्षेत्रों जैसे कि निमाण क्षेत्र की वृद्घि दर 12.6 फीसदी घट सकती है।
आंकड़ों से दूसरी छमाही में कुछ क्षेत्रों में अच्छा सुधार आने का संकेत मिला है। उदाहरण के लिए निर्माण क्षेत्र में पहली तिमाही में 30 फीसदी की गिरावट आई थी जबकि दूसरी छमाही में इसमें 4.4 फीसदी वृद्घि का अनुमान है।
विनिर्माण क्षेत्र में दूसरी छमाही में भी नरमी बनी रह सकती है। सेवा क्षेत्र में भी ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार अग्रिम अनुमान की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ सकते हैं क्योंकि अच्छे आंकड़े केवल दो तिमाहियों के ही उपलब्ध हैं। सेन ने कहा, 'इस साल स्थिति अलग है। कंपनियां अच्छा मुनाफा दिखा रही हैं लेकिन उनके वेतन बिल में कमी आई है।'
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नैयर ने कहा, 'पहले आठ महीने के आंकड़ों के आधार पर ही अग्रिम अनुमान लगाया गया है। आगे आंकड़े उपलब्ध होने में इसमें संशोधन हो सकता है। साल के बाकी बचे महीनों में अच्छी वृद्घि की उम्मीद है।' संशोधित अनुमान में अनौपचारिक क्षेत्रों को शामिल करने से जीडीपी के आंकड़े और घट सकते हैं।
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