नए हवाई अड्डों के विस्तार से क्षेत्रीय उड़ान का बढ़ेगा दायरा | अनीश फडणीस / मुंबई January 06, 2021 | | | | |
उत्तर प्रदेश में बरेली और महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग अगले कुछ हफ्तों में हवाई सेवा से जुड़ जाएंगे। सरकार नियंत्रित एयर इंडिया की क्षेत्रीय इकाई अलायंस एयर क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) के तहत अपनी सेवाओं का विस्तार करने जा रही है। इन दो शहरों के देश में हवाई यातायात के नक्शे पर आने के साथ ही देश में सक्रिय हवाईअड्डों की संख्या बढ़कर 131 हो जाएगी। इनके अलावा दूसरे छोटे शहरों में हवाई संपर्क में तेजी देख जा रही है। उदाहरण के लिए ओडिशा में झारसुगुडा से आगामी 12 जनवरी से मुंबई और बेेंगलूरु के लिए स्पाइसजेट की उड़ान सेवाएं शुरू हो जाएगी। इसी तरह, हरियाणा में हिसार भी इसी महीने चंडीगढ़, धर्मशाला और देहरादून से हवाई संपर्क से जुडऩे वाला है। यह सेवा एयर टैक्सी विमानन कंपनी शुरू करेगी और इसके लिए तीन सीटों वाले इटली में बने टेकनेम विमान इस्तेमाल किए जाएंगे।
बरेली और सिंधुदुर्ग से हवाई सेवा शुरू करने की योजना पर अलायंस एयर की मुख्य कार्याधिकारी हरप्रीत ए डी सिंह ने कहा, 'हम इस महीने या फरवरी में मुंबई-सिंधुदुर्ग और दिल्ली-बरेली-लखनऊ मार्गों पर उड़ान सेवा शुरू कर सकते हैं। हम विमान उतरने और उड़ान भरने की जगह के लिए मुंबई हवाईअड्डे से बात कर रहे हैं और सरकार से अगर जल्द अनुमति मिल जाती है तो सेवा शुरू होने में देर नहीं लगेगी। दोनों मार्गों पर एटीआर-72 विमान परिचालन में लाए जाएंगे।'
हरप्रीत ने कहा, 'हमारे पास 18 विमान हैं और फिलहाल हमारी नजर मौजूदा उपलब्ध विमानों के साथ अपनी क्षमता बढ़ाने पर है। हमने तीन नए मार्गों-मंगलूरु-मैसूर, बेंगलूरु-कोझिकोडे और मुंबई-दिल्ली- पर उड़ान सेवाएं शुरू कर दी हैं।' हरदीप ने कहा कि ये उड़ान आरसीएस योजना का हिस्सा नहीं हैं।
वर्ष 2017 में नागर विमानन मंत्रालय ने छोटे शहरों को देश के हवाई यातायात नक्शे पर लाने के लिए आरसीएस योजना की शुरुआत की थी। यह योजना उड़ान के नाम से भी जानी जाती है। इस योजना के लिए रकम मुहैया कराने के वास्ते बड़े हवाई मार्गों पर विमान किराये में 50 रुपये शुल्क जोड़े दिए गए हैं। इस तरह, आरसीएस योजना पर कुल खर्च होने वाली रकम और उपलब्ध रकम में अंतर 80 प्रतिशत तक कम हो जाता है। शेष 20 प्रतिशत रकम राज्य सरकारें मुहैया कराती हैं।
आरसीएस योजना के तहत उड़ान सेवाएं 766 आवंटित मार्गों में 303 पर शुरू हुई हैं। समझा जा रहा है कि मई में विमान सेवाएं शुरू होने के बाद विमानन कंपनियां 200 से अधिक मार्गों पर परिचालन कर रही हैं। हालांकि आरसीएस परियोजना की शुरुआत होने के बाद योजना तैयार करने में विमानन कंपनियों और सरकार की तरफ से ढिलाई से सीमित संख्या में ही विमान सेवा शुरू हो पाई है।
विमानन कंपनियों को जहां विमानों की कमी, अपर्याप्त रकम और श्रम से जड़े मुद्दों से जूझना पड़ा है वहीं सरकार विमान सेवा के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करने में भी असफल रही है। कई मामलों में हवाई मार्गों का निर्धारण विमानन कंपनियों और हवाईअड्डों से अनुमति मिलने के पूर्व ही हो गया।
हालांकि अधिकारियों और विमानन कंपनियों को उम्मीद है कि इस वर्ष कई नए मार्गों पर विमान सेवा शुरू हो जाएगा। मार्च अंत तक अंडमान एवं निकोबार द्वीप सहित 13 हवाईअड्डों को लाइसेंस मिल जाने की उम्मीद है। इनमें उत्तर प्रदेश में 5, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड और तमिलनाडु में एक-एक हवाईअड्डे शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार में विशेष सचिव सुरेंद्र सिंह ने कहा कि 2017 में राज्य में केवल चार ही हवाईअड्डे थे जिनका परिचालन हो रहा था। सिंह ने कहा कि उनमें लखनऊ, वाराणसी, आगरा और गोरखपुर शामिल थे। उन्होंने कहा कि इस सूची तीन और हवाईअड्डे-कानपुर, प्रयागराज और हिंडन जोड़े गए हैं।
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