विनिवेश के लक्ष्य से चूक रही सरकार | |
निकुंज ओहरी / नई दिल्ली 01 05, 2021 | | | | |
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार अपने 7 साल के कार्यकाल में सिर्फ 2 साल विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में सफल हो पाई है। पिछले और चालू वित्त वर्ष में सरकार ने महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया था, जो हासिल नहीं किया जा सका क्योंकि योजना के मुताबिक सरकारी कंपनियों की बिक्री नहीं हो पाई।
इसके पहले के वित्त वर्ष में सरकार ने 90,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया था और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल), कंटेनर कॉर्पोरेशन आफ इंडिया (कॉनकोर) और शिपिंग कॉर्पोरेशन आफ इंडिया के निजीकरण की योजना बनाई थी। इनमें से किसी के निजीकरण का काम पिछले साल पूरा नहीं हो सका।
इस वित्त वर्ष में इन कंपनियों को बेचने का लक्ष्य पूरा होने के उम्मीद के साथ राजग सरकार ने इस वित्त वर्ष में 2.1 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा। इसमें से करीब 90,000 करोड़ रुपये भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) और आईडीबीआई में सरकार की हिस्सेदारी घटाने से आने थे।
हालांकि अधिकारियों ने कहा कि एलआईसी की सूचीबद्धता और आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी की बिक्री निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के तय किए गए विनिवेश लक्ष्य का हिस्सा नहीं है और यह वित्तीय सेवा विभाग के दायरे में आएगा, लेकिन विनिवेश विभाग को इनके लेनदेन में मदद करनी थी, जैसा कि वह अन्य सरकारी विभागों के मामले में करता है। इस तरह से यह उसकी परियोजना में शामिल है। इन दो लेन-देन के इस वित्त वर्ष में होने की संभावना नहीं है और इस तरह से इसे सरकार के एक और महत्त्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य में शामिल किया जाएगा, जो वह अगले वित्त वर्ष के लिए तय करेगी।
निजीकरण की नई नीति में रणनीतिक क्षेत्रों में सरकारी कंपनियों की संख्या 4 तक सीमित होगी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ने 2021-22 के बजट में विनिवेश की गति बढ़ेगी और अगले साल के लिए ज्यादा विनिवेश लक्ष्य रखा जा सकता है।
चालू वित्त वर्ष 2020-21 में विनिवेश चुनौतीपूर्ण रहा है क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण बाजार निचले स्तर पर चला गया था।
बहरहाल बाजार जल्द ही सामान्य हो गए और अब यह रिकॉर्ड उच्च स्तर पर हैं। मंगलवार को को निफ्टी 14,199.50 के अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया। हालांकि सरकार ने तेजी से काम शुरू किया और यूनिट ट्रस्ट आफ इंडिया होल्डिंग के विशेषीकृत अंडरटेकिंग के माद्यम से शेयरों की बिक्री की घोषणा की और भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम जैसी कंपनियों के लिए बिक्री की पेशकश (ओएफसी) की, लेकिन अब तक सरकार की विनिवेश से प्राप्तियां 13,844 करोड़ रुपये ही हैं। बीपीसीएल का बड़ा निजीकरण, जिससे 1.2 लाख करोड़ रुपये विनिवेश लक्ष्य का बड़ा हिस्सा हासिल करने में सरकार को मदद मिलती, अगले साल में हो सकता है। कॉनकोल का निजीकरण भी अगले साल के लिए टल सकता है।
एससीआई की बिक्री इस साल हो सकती है, लेकिन इस लेनदेन से कराकर को बड़ी राशि नहीं मिलेगी क्योंकि शिपिंग कंपनी में हिस्सेदारी का मूल्य 2,700 करोड़ रुपये है।
उम्मीद की जा रही है कि सरकार विनिवेश प्राप्तियां बढ़ाने के लिए ओएफएस पेश करेगी। सरकारी कंपनियों द्वारा कुछ बाईबैक से भी सरकार को मदद मिलेगी। विनिवेश हमेशा बाजार की स्थिति पर निर्भर होता है और सरकार महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखती रही है।
बेंगलूरु स्थित डॉ बीआर अंबेडकर स्कूल आफ इकोनॉमिक्स (बीएएसई) युनिवर्सिटी के कुलपति एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि कुछ वजहों के कारण यह हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। भानुमूर्ति ने कहा, 'लगातार आ रहे बजट विनिवेश प्राप्तियों पर बहुत ज्यादा निर्भर रहे हैं। सरकार को अपने लिए विनिवेश लक्ष्य नहीं बनाना चाहिए और हमेशा नए विनिवेश प्रस्ताव कतार में रखने चाहिए।'
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