दिसंबर में विनिर्माण पीएमआई थोड़ा बढ़ा | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली January 04, 2021 | | | | |
विनिर्माण पीएमआई में दिसंबर महीने में इसके पहले महीनेे की तुलना में मामूली सुधार हुआ है। हालांकि रोजगार सृजन अभी कम बना हुआ है। आईएचएस मार्किट पर्चेजिंग मैनेजस इंडेक्स (पीएमआई) सर्वे से यह जानकारी सामने आई है।
दिसंबर में पीएमआई बढ़कर 56.4 हो गया, जो नवंबर में 56.3 था। बहरहाल यह अक्टूबर के 58.9 और सितंबर के 56.8 से नीचे बना हुआ है, जब लॉकडाउन खत्म किया गया था। पीएमआई 50 से ऊपर होना वृद्धि और 50 से नीचे होना संकुचन दिखाता है।
फर्में इनपुट स्टॉक हटाने में सक्षम हुई हैं और यह करीब एक दशक में सबसे तेज दर से हुआ है। नए काम में चल रही वृद्धि के साथ तैयार माल का भंडारण तेजी से गिरा है। आउटपुट में वृद्धि 4 महीने के निचले स्तर पर है, लेकिन मजबूत बनी हुई है।
हाल के आंकड़ों के मुताबिक विनिर्माण में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अक्टूबर मेंं 3.5 प्रतिशत बढ़ा है। आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्र की सहायक निदेशिका पॉलिएना डी लीमा ने कहा कि बहरहाल पीएमआई के परिणाम के हिसाब से यह भी आगे कम हो सकता है।
लीमा ने कहा, 'हाल के उपलब्ध आधिकारिक आंकड़े से पता चलता है कि अक्टूबर महीने में विनिर्माण उत्पादन में पिछले साल की तुलना में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जब पीएमआई आउटपुट इंटेक्स उल्लेखनीय रूप से मजबूत रहा था। उसके बाद से दो महीनों में वृद्धि की रफफ्तार कुछ कम हुई है और हमारा अनुमान है कि आधिकारिक परिणाम इसी के अनुरूप रहेगा।'
बार्कलेज में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि बढ़ी हुई पीएमआई रीडिंग वास्तविक गतिविधियों के आंकड़ों से जुड़ी होती है, जिसने पिछले 6 महीनों के दौरान प्रदर्शन में चल रहे सुधार को दिखाया है। उन्होंने कहा, 'चरणबद्ध तरीके से स्वीकृत टीका लगने से धनात्मक वृद्धि को आगे और रफ्तार मिल सकती है। यह अगले 1-2 सप्ताह में शुरू होने की संभावना है।'
रोजगार ऐसा क्षेत्र है, जहां सुधार नहीं हो सका है। 2020 के अंत में एक बार फिर रोजगार क्षेत्र की धूमिल तस्वीर सामने आई है।
लीमा ने कहा, 'एक बार फिर यह सर्वे रोजगार में गिरावट की बुरी खबर लाया है। बहरहाल नौकरियों की धारणा कम से कम सही दिशा में जा रही है क्योंकि संकुचन की दर कम हुई है और यह पिछले 9 महीनों के संकुचन के दौरान सबसे कमजोर है।'
हालांकि कच्च्चे माल की आपूर्ति में कमी की वजह से डिलिवरी में देरी हो रही है और इनपुट लागत में बहुत तेज बढ़ोतरी हुई है।
कोविड-19 के कारण लगे प्रतिबंधों में ढील के बाद मांग मजबूत होने और बाजार की स्थिति में सुधार के कारण दिसंबर के दौरान फैक्टरी ऑर्डर बढ़े हैं। इसकी वजह से फर्मों ने एक बार फिर उत्पादन बढ़ाया है। दोनों मामलों में विस्तार की दर तेज बनी हुई है, भले ही यह 4 माह के निचले स्तर पर है।
भारतीय सामानों की अंतरराष्ट्रीय मांग दिसंबर में बढ़ी है, लेकिन साक्ष्यों से पता चला है कि कोविड-19 महामारी के कारण वृद्धि पर असर पड़ा है। परिणामस्वरूप नए एक्सपोर्ट ऑर्डर मौजूदा 4 महीने के विस्तार के क्रम में सबसे सुस्त रफ्तार से बढ़े हैं। दिसंबर में इनपुट लागत की महंगाई 26 महीने के उच्च स्तर पर रही। रसायनों, धातुओं, प्लास्टिक और टेक्सटाइल के भाव बढ़े हैं। बढ़ी हुई लागत का बोझ आउटपुट पर डाला गया है, लेकिन इसमें महंगाई बहुत मामूली है।
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