माल ढुलाई में बढ़त के संकेत | सचिन मामबटा और कृष्ण कांत / January 04, 2021 | | | | |
भारतीय रेलवे ने पिछले हफ्ते के दौरान माल ढुलाई में अच्छी वृद्धि दर्ज की है और यहां तक कि आर्थिक गतिविधियों के कुछ अन्य संकेतक भी स्थिर दिख रहे हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड प्रदूषण के स्तर, लोकेशन डेटा के आधार पर लोगों की आवाजाही और यातायात का जायजा लेने के अलावा रेल और बिजली उत्पादन के आंकड़ों पर भी नजर रखता है। ये आंकड़े अर्थव्यवस्था की बेहतर मौजूदा तस्वीर प्रस्तुत करते हैं क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े अक्सर एक अंतराल के साथ जारी किए जाते हैं। वैश्विक स्तर पर विश्लेषक इन्हीं आंकड़ों का जायजा ले रहे हैं ताकि कोविड-19 महामारी के बीच जमीनी स्थिति का थोड़ा अंदाजा मिल सके।
भारतीय रेलवे ने पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में रविवार 3 जनवरी को समाप्त सात दिनों में 8.08 फीसदी ज्यादा माल ढुलाई की। यह पिछले सप्ताह के 5.77 प्रतिशत के आंकड़े से अधिक है। माल ढुलाई वाली वस्तुओं से होने वाली आमदनी भी पिछले साल की तुलना में 7.62 फीसदी अधिक बढ़ी है जबकि पिछले सप्ताह इसमें 3.26 फीसदी की बढ़त थी।
रविवार 3 जनवरी को समाप्त सप्ताह में भी एक साल पहले के मुकाबले ज्यादा बिजली उत्पादन देखने को मिला। ताजा सप्ताह में इसमें 4.7 फीसदी की बढ़त दिखी जबकि पिछले सप्ताह यह 4.6 फीसदी था। लॉकडाउन की सख्त अवधि के दौरान बिजली उत्पादन में करीब 30 प्रतिशत की कमी थी। सर्च इंजन गूगल किसी अनाम स्थान के डेटा का इस्तेमाल कर यह अंदाजा लगाती है कि महामारी के दौरान लोगों की गतिविधि कैसी है। ताजा आंकड़े 29 दिसंबर के हैं। कार्यस्थलों पर जाने वालों की तादाद करीब 82.14 फीसदी है जो सामान्य दिनों में भी देखा जाता है। रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया है कि मार्च में लॉकडाउन की घोषणा के बाद से बस स्टॉप और सबवे जैसे ट्रांजिट स्टेशनों पर जाने वालों की तादाद उच्चतम स्तर पर थी। अब यह सामान्य दिनों की तरह 92.14 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच चुकी है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन का भी जायजा लेता है। औद्योगिक गतिविधि और वाहनों से प्रदूषक तत्त्व निकलते हैं। दिल्ली का उत्सर्जन हाल के दिनों में पिछले साल के स्तर के मुकाबले काफी बढ़ गया जो सात दिन के रोलिंग औसत के लिहाज से 50 फीसदी बढ़त के रूप में दिखा रहा है। रविवार 3 जनवरी को खत्म हुए सप्ताह के आंकड़ों से पता चलता है कि यह अब पिछले साल के स्तर से 3 फीसदी नीचे है। बांद्रा इलाके के आंकड़ों के आधार पर मुंबई में भी उत्सर्जन 96 प्रतिशत कम हो गया है। महामारी के पहले की अवधि के मुकाबले दोनों शहरों में यातायात अब भी कम है।
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