बीएस बातचीत जूलियस बेयर इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी आशिष गुमाश्ता ने पुनीत वाधवा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि बाजारों में वित्त वर्ष 2021-वित्त वर्ष 2023 के दौरान 25 प्रतिशत की आकर्षक आय सीएजीआर का असर पहले ही दिख चुका है। उनका कहना है कि आय के मोर्चे पर किसी तरह की निराशा दिखने से 2021 में बाजारों में अस्थिरता को बढ़ावा मिल सकता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश: वर्ष 2021 के लिए बाजार को लेकर आपका नजरिया क्या है? हम 2021 के लिए भारतीय बाजारों पर सकारात्मक नजरिया बनाए हुए हैं। टीके के मोर्चे पर सफलता मिलने से हमें एक तिमाही में हालात सामान्य हो जाने की संभावना दिख रही है। कमजोर ब्याज दरों, बेहतर कॉरपोरेट बैलेंस शीट, क्षमता इस्तेमाल में आ रहे सुधार और इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च पर सरकारी दिलचस्पी की वजह से अगले 12-18 महीनों में निवेश/पूंजीगत खर्च चक्र भी सुधार आने की संभावना है। सुधरते आय परिदृश्य, के साथ साथ आकर्षक प्रवाह से इक्विटी में निवेशकों की दिलचस्पी बने रहने की उम्मीद है। इसलिए हमारा मानना है कि भारतीय इक्विटी बाजार 2021 में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे, भले ही उनमें गिरावट के कुछ झटके आ सकते हैं।तेजी की राह में मुख्य जोखिम क्या हैं और इनका बाजार पर कितना असर दिख रहा है? जिन प्रमुख वैश्विक जोखिमों पर नजर रखे जाने की जरूरत है, वे कोविड-19 की स्थिति, वैश्विक आर्थिक सुधार की राह में दबाव, और वैश्विक तरलता में कमी से जुड़े हो सकते हैं। हालांकि टीके की पेशकश से अर्थव्यवस्थाओं को तेजी से सामान्य हालात की ओर लौटने में मदद मिल सकती है, क्योंकि मानव गतिविधियों में बड़ी तादाद में तेजी आ रही है। इसके अलावा, वैश्विक नकदी समर्थन भी लंबे समय तक बरकरार रहने की संभावना है। घरेलू मोर्चे पर, ध्यान देने वाले प्रमुख कारक आर्थिक गतिविधि/आय की गति में सुधार, और राजकोषीय स्थिति में बदलाव होंगे।भारतीय बाजार के बारे में आपकी राय? एफआईआई प्रवाह चालू वर्ष 2021 में मजबूत बने रहने की संभावना है। अमेरिकी सरकार द्वारा राजकोषीय स्थिति को ज्यादा बढ़ाा दिए जाने की वजह से डॉलर में कमजोरी आई है जो भारत समेत उभरते बाजारों के प्रति प्रवाह के लिए अच्छा है। इसके अलावा भारत कोविड-19 से भी उबर रहा है और वह इस लिहाज से पश्चिमी देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है। इसके अलावा, मजबूत जनसांख्यिकी, अच्छे मॉनसून, पर्याप्त सरकारी उपायों और आरबीआई के कदमों ने भारत को वृद्घि के लिहाज से अनुकूल स्थिति में ला दिया है।भारतीय संदर्भ में आपके ओवरवेट और अंडरवेट सेक्टर कौन से हैं? हम वित्त (निजी बैंकों और बीमा), दूरसंचार, हेल्थकेयर, केमिकल और आईटी तथा वाहन क्षेत्रों पर सकारात्मक बने हुए हैं। हालांकि शेयरों में भारी तेजी को देखते हुए हमें निवेश के सही अवसरों पर नजर रखने की जरूरत होगी। यदि ताजा रिकवरी बनी रहती है तो रियल एस्टेट और अन्य संबंधित क्षेत्र (घर मरम्मत, फाइनैंसर, बिल्डिंग मैटेरियल आदि) आकर्षक थीम के तौर पर उभर सकते हैं। हम चक्रीयता (जैसे उद्योग/इन्फ्रा) पर भी अपना ध्यान बनाए रखेंगे और पूंजीगत खर्च/निवेश चक्र में लगातार सुधार पर नजर रखेंगे।
