राज्य सरकारें व केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2021) के दौरान राज्य विकास ऋण (एसडीएल) के माध्यम से 3.16 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के परामर्श में बाजार से धन जुटाने के लिए इस सांकेतिक उधारी योजना की पुष्टि की है।
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सांकेतिक राशि 3.5 लाख करोड़ रुपये के अनुमान से कम है। कुछ राज्यों के मामले में राजस्व प्रवाह बेहतर है और साथ ही इनमें से कुछ राज्य धन जुटाने के लिए सरकारी निगमों की मदद ले रहे हैं। कोषागार के अधिकारियों ने कहा कि दिसंबर और चालू वित्त वर्ष के शेष हिस्से में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह के मुताबिक राज्यों की ओर से ली जाने वाली बाजार उधारी की वास्तविक राशि तय होगी। अप्रैल-दिसंबर 2020 में उन्होंने 5.51 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में 2.02 लाख करोड़ रुपये के सकल एसडीएल जारी हुए। सकल एसटीएल वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में 24.9 प्रतिशत बढ़कर 2,022 अरब रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में 1,619 अरब रुपये था।
वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में एसडीएल प्रतिदान घटकर 443 अरब रुपये रहने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में 394 अरब रुपये था। इसी के अनुसार शुद्ध एसडीएल निर्गम तेजी से 28.8 प्रतिशत बढ़़कर वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में 1.57 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में 1.22 लाख करोड़ रुपये था।
एक उत्साहजनक प्रगति यह रही कि वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में पहली बार रिजर्व बैंक ने एसडीएल में खुले बाजार से खरीद (ओएमओ) की। रिजर्व बैंक ने 9 से 11 साल की परिपक्वता में वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में 3 एसडीएल ओएमओ में से प्रत्येक में 100 अरब रुपये के एसडीएल की खरीद की।
इस कवायद के बावजूद 10 साल के एसडीएल कट-आफ और 10 साल के भारत सरकार के बॉन्ड के बीच भारित औसत वित्त वर्ष 21 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 69 बीपीएस हो गया, जो वित्त वर्ष 21 की दूसरी तिमाही में 64 बीपीएस था। वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही के100 बीपीएस स्पे्रड घटा है।