फोनपे का शुद्ध घाटा कम हुआ, राजस्व बढ़ा | समरीन अहमद / बेंगलूरु December 31, 2020 | | | | |
वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली डिजिटल भुगतान कंपनी फोनपे का शुद्ध नुकसान वित्त वर्ष 2020 में इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 7 फीसदी घटकर 1,771 करोड़ रुपये रह गया। साल 2015 में कामकाज शुरू करने के बाद यह पहला मौका है जब कंपनी ने शुद्ध नुकसान में कमी दर्ज की है। बिजनेस इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म टॉफ्लर की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, कंपनी ने वित्त वर्ष 2020 में कुल राजस्व में 74 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की और यह 427 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2019 में 245 करोड़ रुपये रहा था। कंपनी का खर्च हालांकि वित्त वर्ष 2020 में एक साल पहले के मुकाबले 2 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 2,202 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में फोनपे का मुकाबला तकनीकी दिग्गज मसलन पेटीएम और गूगल पे के साथ है और साल 2023 में उसका इरादा आईपीओ लाने का है, जिसके लिए फ्लिपकार्ट ने फोनपे को आंशिक रूप से अलग करने की घोषणा की है ताकि उसे बढ़त की अपनी महत्वाकांक्षा के लिए लंबी अवधि का फंड मिल सके। दिसंबर मेंं ही फोनपे ने टाइगर ग्लोबल समेत फ्लिपकार्ट के मौजूदा निवेशकों से 70 करोड़ डॉलर जुटाए हैं। फोनपे का मू्ल्यांकन अभी 5.5 अरब डॉलर है और इसमें वॉलमार्ट की अगुआई में फ्लिपकार्ट के मौजूदा निदेशक हैं और ई-कॉमर्स कंपनी के पास इसकी बहुलांश हिस्सेदारी है।
कंपनी हालांकि 25 करोड़ पंजीकृत ग्राहकों का आंकड़ा पार कर चुकी है और अक्टूबर 2020 में उसने 10 करोड़ मासिक सक्रिय ग्राहक और 2.3 अरब ऐप सेशन की खबर दी है। फोनपे के सीईओ व संस्थापक समीर निगम ने कहा, हम डिजिटल भुगतान को हर भारतीय नागरिक के जीवन का हिस्सा बनाने की कोशिश में जुटे हैं और हमारा अगला लक्ष्य दिसंबर 2022 तक 50 करोड़ पंजीकृत ग्राहक तक पहुंचने का है।
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