कमजोर प्रतिफल के बीच बॉन्ड में सबसे अच्छी तेजी | अनूप रॉय / मुंबई December 31, 2020 | | | | |
साल 2020 में गहरी निराशा के बीच एक समूह में सकारात्मक हलचल देखने को मिली और वह है भारत के बॉन्ड ट्रेडर। यह समूह आसानी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकता था जब महामारी से परेशानी झेल रही सरकार ने 2020-21 के लिए कुल 12 लाख करोड़ रुपये की उधारी का अनुमान जताया। राज्यों ने भी ऐसा ही रुख अपनाया और अपनी उधारी योजनाएं सामने रख दी, जो अनुमानित तौर पर कम से कम 10 लाख करोड़ रुपये था। 22 लाख करोड़ रुपये की उधारी बाजार के लिए बड़ा भारी काम था, जो हर साल इस रकम का करीब आधा ही समायोजित करता रहा है। लेकिन उसके बाद विभिन्न जरिये से आरबीआई सितंबर तक 11.11 लाख करोड़ रुपये की अप्रत्याशित नकदी के साथ सामने आया। ऐसे में केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने मौद्रिक नीति के ऐलान के समय बॉन्ड बाजार के भागीदारों के साथ करीब जुड़कर बात की। रीपो दरें निचले स्तर पर बनी रही और मार्च से उसमें 115 आधार अंकों की कमी आई।
विचार था सरकार के लिए उधारी की लागत यथासंभव कम से कम रखने का और गवर्नर शक्तिकांत दास ने बॉन्ड बाजार से अनुरोध किया कि उनका नजरिया प्रतिस्पर्धी होना चाहिए और वह भी जुझारू रुख के बिना। इसके बाद 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल 6 फीसदी के नीचे चला गया जब अक्टूबर की नीति घोषित हुई और तब से यह वहीं पर है। आरबीआई सरकारी उधारी कार्यक्रम 16 साल के निचले औसत प्रतिफल पर अंजाम देने में कामयाब रहा और कॉरपोरेट व सरकारी बॉन्डों के बीच के स्प्रेड को कोविड के पहले के स्तर पर ले आया और अल्पावधि की दरों को तीन फीसदी के नीचे ला दिया, जो ओवरनाइट पॉलिसी की दर से नीचे है। सरकारी बॉन्डों में सबसे बड़े निवेशक समूह बैंकों को भी बेहतर आर्बिट्रेज का मौका मिला।
बॉन्ड डीलरों ने कहा कि आगामी दिनों में भी ऐसा ही रुख बना सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका के ट्रेजरी प्रमुख जयेश मेहता ने कहा, वैश्विक स्तर पर बॉन्ड का प्रतिफल कुछ समय तक नरम बना रहेगा और यह मानने की कोई वजह नहीं है कि भारत में प्रतिफल बढ़ेगा। यहां यह बताना अहम है कि साल 2008 से नकदी की भरमार रही है और इसके जल्द कम होने की संभावना नहीं है। बॉन्ड डीलरों ने कहा, बॉन्ड प्रतिफल के लिए अहम महंगाई चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। यह अभी भी आपूर्ति के अवरोध से आगे बढ़ता है, जिसमें सुधार आएगा जब आर्थिक गतिविधियां जोर पकडेंगी और आवाजाही बहाल हो जाएगी।
शुद्ध रूप से तकनीकी नजरिये से देखें तो जब तक 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 5.5 फीसदी से ऊपर रहता है तब तक यह 6.6 फीसदी के अहम प्रतिरोध स्तर तक बढ़ सकता है। अगर प्रतिफल 6.6 फीसदी के पार निकलता है तो यह 7.3 फीसदी तक चढ़ सकता है। हालांकि 5.5 फीसदी से नीचे उथरने पर यह 4.75 फीसदी तक फिसल सकता है।
रुपया
कैलेंडर वर्ष 2020 रुपये के लिए तटस्थ रहा है। इस साल आरबीआई ने रुपये के ओवर द काउंटर डेरिवेटिव को इंटर-नैशनलाइजेशन के तौर पर पहचाना है। आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि कोविड के दौरान रुपये में हुआ उतारचढ़ाव हाल के संकटों में सबसे कम संकट वाला रहा। इसकी वजह आरबीआई की तरफ से हुआ लगातार हस्तक्षेप है, जिसने इस साल 100 अरब डॉलर का भंडार बनाया है। साथ ही अमेरिकी ट्रेजरी ने भारत को करेंसी मैनिपुलेटर वॉचलिस्ट में रखा। यह उन मानदंडों में से एक है जो हस्तक्षेप के जरिये मुद्रा को कमजोर रखता है।
इस साल अब तक इलाके में रुपया सबसे कमजोर रहा है और डॉलर के मुकाबले यह 3.07 फीसदी टूटा है। वहीं इसकी समकक्ष मुद्राओं में मोटे तौर पर बढ़त दर्ज हुई है। हालांकि रुपया 76.90 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक आया था। एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (करेंसी) राहुल गुप्ता ने कहा, साल 2021 में वैक्सीन की उम्मीद के बावजूद ट्रेडर कोरोनावायरस के नए वैरिएंट के कारण सतर्कता बरतेंगे। कोरोनावायरस का नया वैरिएंट यूरोप जैसे भारत के निर्यात बाजार को झटका देता रहेगा और चालू खाते के अधिशेष को कम करेगा। साथ ही जो बिडन की अगुआई में अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध दोबारा शुरू होने की संभावना भी है।
आईएफए ग्लोबल के प्रबंध निदेशक व सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा, साल 2020 में रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला रहा। आरबीआई ने कमजोर डॉलर के चरण का इस्तेमाल रुपये के ज्यादा मूल्यांकन को सही करने में किया, जिससे आयात को हतोत्साहित करने वाले सरकार के आत्मनिर्भर अभियान को सहारा मिला। लगता है कि रुपये को कमजोर रखने की स्पष्ट तौर पर कोशिश की गई, खास तौर से युआन के मुकाबले। साल 2020 में अब तक युआन के मुकाबले रुपया 13.3 फीसदी कमजोर हुआ है।
साल 2021 में आरबीआई इसी राह पर चल सकता है। गुप्ता ने कहा, साल 2021 में डॉलर-रुपया 71.50-76.30 के दायरे में कारोबार कर सकता है। जब तक यह 72.75-73.00 से ऊपर कारोबार करेगा, रुख तेजी का रहेगा और 74.50 प्रतिरोध का अहम स्तर होगा। इसके पार निकलने पर 75.25 व 76.30 का स्तर देखने को मिलेगा। 72.75 के पार निकलने पर हाजिर कीमतें 71.50-72.00 के दायरे में आ जाएंगी।
|