नए मार्जिन मानक: रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया एफऐंडओ कारोबार | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई December 31, 2020 | | | | |
एक्सचेंजों पर कुल डेरिवेटिव कारोबार इस महीने उतार-चढ़ाव में तेजी और संस्थागत निवेशकों की अच्छी भागीदारी (खासकर वैश्विक निवेशको से) के बीच रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। एक्सचेंज के डेटा से पता चला है कि दिसंबर के लिए एफऐंडओ (वायदा एवं विकल्प) सेगमेंट में दैनिक औसत कारोबार 31.44 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया, जो पूर्ववर्ती महीने के दौरान 2.6 प्रतिशत और पूरे वर्ष के लिए दर्ज किए गए औसत कारोबार के मुकाबले 58 प्रतिशत अधिक है। यह महीना भारी उतार-चढ़ाव वाला रहा और प्रमुख सूचकांकों में 8 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। बीएस रिसर्च ब्यूरो द्वारा एकत्रित आंकड़े में कहा गया है कि आसान नकदी से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को 51,120 करोड़ रुपये के शेयर खरीदने में मदद मिली, भले ही घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 29 दिसंबर तक 36,448 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी बी गोपकुमार ने कहा, 'दिसंबर में संस्थागत भागीदारी बढ़ी और बड़े पैमाने पर उतार-चढ़ाव ऊंचे एफऐंडओ कारोबार का मुख्य वाहक रहा।' उन्होंने कहा कि ऊंचे एफऐंडओ कारोबार से अक्सर निवेशकों द्वारा रकम गंवाने का खतरा बढ़ता है और दीर्घावधि में यह नकारात्मक रहा है। एफऐंडओ सेगमेंट में खुदरा भागीदारी हालांकि पीक मार्जिन नियमों की वजह से प्रभावित हुए, जो 1 दिसंबर से प्रभावी हुए हैं। ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर द्वारा एकत्रित आंकड़े में कहा गया है कि साप्ताहिक एक्सपायरी दिनों में एनएसई पर डेरिवेटिव्स कारोबार दिसंबर में सूचकांक वायदा खंड में पूर्ववर्ती महीने के मुकाबले 41 प्रतिशत घट गया, जबकि सूचकांक विकल्प के लिए इसमें 19 प्रतिशत की कमी आई।
नए मानकों के अनुसार, यदि ब्रोकर इंट्राडे पोजीशन के लिए न्यूनतम मार्जिन हासिल करने में विफल रहता है तो शॉर्ट-मार्जिन जुर्माना लागू है सेबी ने ऐसे निवेश पर पहले चरण में 4 गुना मार्जिन की सीमा तय की है जो डेरिवेटिव में संभव है। इससे खुदरा ऑप्शन कारोबार प्रभावित हुआ, खासकर एक्सपायरी दिनों पर ऑप्शन राइटर्स के लिए, जिनका हरेक महीने आखिरी गुरुवार को बड़े कारोबार में योगदान रहता है। प्रभुदास लीलाधर के मुख्य कार्याधिकारी (रिटेल) संदीप राइचुरा ने कहा, 'यह प्रभाव अब ज्यादा देखा जाएगा, क्योंकि हम जून में मार्जिन मानकों के तीसरे चरण में प्रवेश करेंगे। हमें साप्ताहिक एक्सपायरी के दिनों में एफऐंडओ सेगमेंट में रिअेल कारोबार में 30-40 प्रतिशत की अन्य कमी आने की आशंका है। बाजार और ब्रोकर भी आखिरकार कुछ महीनों में नए सामान्य को समायोजित करेंगे।'
1 जून से ब्रोकरों को निर्धारित सीमा का न्यूनतम 75 प्रतिशत मार्जिन हासिल करने की जरूरत होगी, जो मौजूदा समय में 25 प्रतिशत है। यह 1 सितंबर से बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगा। उद्योग के कारोबारियों के अनुसार, एफऐंडओ सेगमेंट का रिटेल ब्रोकरों के राजस्व में करीब 40-60 प्रतिशत का योगदान है, जो दिसंबर तिमाही में ब्रोकरों के लिए 10-15 प्रतिशत प्रभावित हो सकता है। शुरू में, ब्रोकर अक्सर एफऐंडओ सेगमेंट में इंट्राडे कारोबार के लिए 4-8 गुना के लेवरेज की पेशकश करते थे, जो अब बढ़कर 30-40 गुना हो सकता है।
ब्रोकर द्वारा पेश किया जाने वाला अधिकतम इंट्राडे लेवरेज 1 सितंबर, 2021 तक कम बना रहेगा। इसके बाद, ब्रोकर अधिकतम लेवरेज मुहैया करा सकता है, जो एफऐंडओ सेगमेंट के लिए एसपीएएन+एक्पोजर और कैश सेगमेंट के लिए वीएआर+ईएलएम (न्यूनतम 20 प्रतिशत) के समान है। एसपीएएन जोखिम का स्टैंडर्ड पोर्टफोलियो विश्लेषण है, वीएआर जोखिम पर वैल्यू, और ईएलएम एक्सट्रीम रिस्क मार्जिन है, जिनका इस्तेमाल खास प्रतिभूति के लिए निवेश के संबंध में जोखिम का निर्धारण करने के लिए किया जाता है।
राइचुरा के अनुसार, शेयरों (खासकर, बेहतर गुणवतता वाले, जिनमें कैश में मार्जिन डेरिवेटिव के मुकाबले कम है) के लिए डेरिवेटिव्स से कारोबार कैश सेगमेंट में हो सकता है और यह कुल कारोबार के लिए कुछ संतुलन मुहैया करा सकता है। आंकड़े से पता चलता है कि डिलिवरी प्रतिशत साल के अंत में बढ़ा और पिछले दो महीनों में यह 39 प्रतिशत पर रहा, जो अप्रैल 2019 के बाद से सर्वाधिक है।
|