राजकोषीय घाटा अनुमान के 135 प्रतिशत से पार | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली December 31, 2020 | | | | |
देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नवंबर महीने में पूंजीगत व्यय में तेज बढ़ोतरी के कारण वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 8 महीनों में केंद्र का राजकोषीय घाटा साल के बजट अनुमान के 135 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है। आॢथक गतिविधियों में तेजी से सुधार और स्थिति सामान्य की ओर बढऩे के साथ कर राजस्व में तेजी के बावजूद ऐसा हुआ है। सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल से नवंबर के बीच केंद्र सरकार के राजस्व और व्यय के बीच अंतर 10.7 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 33 प्रतिशत ज्यादा है चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान से 35.1 प्रतिशत ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा बजट लक्ष्य का 114.8 प्रतिशत था। राजकोषीय घाटे ने बजट लक्ष्य को जुलाई में ही तोड़ दिया था क्योंकि पहली तिमाही में लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था ठहर गई थी।
इस महीने की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए व्यय बढ़ाने का ब्योरा दिया था, जिसमेंं राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर कोई चिंता नहीं जताई गई। बहरहाल अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि बजट अंतर बढ़कर जीडीपी के 7 प्रतिशत और 8 प्रतिशत के बीच रहेगा, जबकि सरकार ने पहले 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। केयर रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'उत्साहजनक संकेत यह हैं कि राजस्व में गिरावट के बावजूद सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी हुई है।' उन्होंने 2020-21 में राजकोषीय घाटा 9 प्रतिशत तक बढऩे का अनुमान लगाया है। उन्होंने कहा, 'केंद्र की वित्तीय स्थिति पर वित्त वर्ष 2020-21 के शेष महीनों में दबाव बना रहेगा।'
राजकोषीय घाटा तब बढ़ता है, जब सरकार का खर्च राजस्व से ज्यादा हो जाता है। आर्थिक गतिविधियां ठहर जाने के कारण सरकार का राजस्व भी कम हो गया है, वहीं अर्थव्यवस्था में मांग बनाए रखने के लिए सरकार ने खर्च बनाए रखा है। नवंबर महीने में पिछले साल की तुलना में पूंजीगत व्यय 248.5 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि अक्टूबर महीने में 129.4 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। राजस्व व्यय नवंबर में 32 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि पिछले महीने यह 1.3 प्रतिशत कम हुआ था। अप्रैल से नवंबर के बीच पूंजीगत व्यय 13 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि अक्टूबर तक 2 प्रतिशत गिरावट आई थी। पहले 8 महीनों में पूंजीगत व्यय बजट अनुमान की तुलना में 58.5 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 63.3 प्रतिशत था। वित्त मंत्रालय ने घोषणा की है कि सड़कों, रक्षा, बुनियादी ढांचा, जलापूर्ति, शहरी विकास और घरेलू स्तर पर उत्पादित पूंजीगत उपकरण पर 25,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी। अप्रैल से नवंबर के बीच चार क्षेत्रों- रक्षा (30 प्रतिशत), सड़क (22 प्रतिशत), रेलवे (16 प्रतिशत) और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण (5 प्रतिशत) पर इस अवधि के दौरान कुल पूंजीगत व्यय का 73 प्रतिशत खर्च हुआ।
अप्रैल-नवंबर के दौरान राजस्व व्यय पूरे साल के बजट अनुमान की तुलना में 63.3 प्रतिशत रहाहै, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 65.6 प्रतिशत खर्च हुआ था। नवंबर में घोषित तीसरे प्रोत्साहन पैकेज के हिस्सा के रूप में उर्वरक सब्सिडी पर 65,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया था। नवंबर में कर राजस्व में सुधार हुआ। इसमें व्यक्तिगत आयकर और उत्पाद शुल्क व सीमा शुल्क की अहम भूमिका रही। कॉर्पोरेशन कर संग्रह में नवंबर में 18 प्रतिशत की कमी आई, वहीं अग्रिम कर में दिसंबर तिमाही में 33 प्रतिशत वृद्धि से आंकड़ों में कुछ सुधार हुआ।
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक नवंबर तक शुद्ध कर राजस्व वित्त वर्ष 21 के बजट अनुमान का 40.2 प्रतिशत था, जो पिछले साल की समान अवधि में 50.1 प्रतिशत था। गैर कर रपाजस्व 32.3 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले साल 72.2 प्रतिशत था। वहीं गैर कर्ज पूंजीगत प्राप्तियां जिसमें विनिवेश शामिल होता है, 8.1 प्रतिशत रहीं।
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