शुल्क में हो इजाफा | संपादकीय / December 31, 2020 | | | | |
रिलायंस जियो ने कहा है कि इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज (आईयूसी) की समाप्ति के बाद 1 जनवरी से देश के भीतर उसके नेटवर्क से की जाने वाली हर कॉल नि:शुल्क होगी। इस घोषणा के बाद पहले ही वित्तीय तनाव से जूझ रहे इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और बढ़ सकती है। माना जा रहा था कि 2021 में कंपनियों द्वारा शुल्क बढ़ाया जाएगा लेकिन नए साल की शुरुआत नि:शुल्क कॉल की सुविधा से हो रही है। ऐसे में माना जा सकता है कि नया साल भी बीते साल की तर्ज पर ही गुजरेगा। देश की सबसे बड़ी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी का संकेत है कि शुल्क दरों में बढ़ोतरी के लिए अभी प्रतीक्षा की जा सकती है। एक ऐसे उद्योग के लिए यह सही संकेत नहीं है जिसे आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी में निवेश की जरूरत है। इसमें नई 5जी तकनीक पर किया जाने वाला निवेश शामिल है।
मौजूदा हालात के मुताबिक तो नया साल दूरसंचार क्षेत्र के लिए चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है। वर्ष 2020 के दौरान भी यह क्षेत्र घाटे और भारी कर्ज से जूझता रहा। क्षेत्र की समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) देनदारी 1.47 लाख करोड़ रुपये है। यह बकाया 15 कंपनियों पर है जिनमें से कई बंद हो चुकी हैं या अपना कारोबार बेच चुकी हैं। यह इस उद्योग की सबसे बड़ी बाधा है और इसने वोडाफोन आइडिया को दिवालिया होने के कगार पर धकेल दिया। हालांकि सितंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने एजीआर बकाया भुगतान की शर्तों को शिथिल कर दिया और इस बीच दूरसंचार कंपनियां फंड जुटाने में कामयाब रहीं। ऐसे में इस उद्योग को विनाशकारी प्रतिस्पर्धा और राजस्व गंवाने की राह पर वापस नहीं लौटना चाहिए। महामारी के कारण दूरसंचार डेटा पर निर्भरता बहुत बढ़ी है, ऐसे में कंपनियों को नेटवर्क की मजबूती को लेकर निवेश करना चाहिए।
अप्रत्याशित रूप से बढ़ी डिजिटल मांग को पूरा करने के लिए दूरसंचार कंपनियों को 2021 के आरंभ में 4जी नीलामी में भाग लेना होगा। कुछ कंपनियों को जहां स्पेक्ट्रम की कमी को पूरा करना होगा, वहीं अन्य आक्रामक ढंग से बोली लगा सकती हैं। इसी साल आगे चलकर 5जी नीलामी होनी है जिसे लेकर अधिकांश कंपनियां रणनीति बना रही हैं। भारत की 5जी के मामले में अहम भूमिका हो सकती है। हालांकि उद्योग जगत ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण द्वारा इसके आरक्षित मूल्य को लेकर चिंता जताई है। नियामक को 5जी नीलामी को लेकर अपनी शुरुआती अनुशंसा पर विचार कर आरक्षित मूल्य कम करना चाहिए ताकि 5जी सेवा सस्ती हो सके। यह अहम है क्योंकि दूरसंचार कंपनियों को नेटवर्क पर अधिक खर्च करना होगा क्योंकि सरकार ने चीनी वेंडरों को नकार दिया है।
हालांकि केवल नियामक और सरकार दूरसंचार कंपनियों की हालत ठीक नहीं कर सकते। उन्हें शुल्क दरों को तार्किक बनाना होगा ताकि कारोबार को गुणवत्तापूर्ण और वित्तीय रूप से सुदृढ़ किया जा सके। ऐसा करके ही यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि आभासी कक्षाओं और कारोबारी बैठकों के दौरान सिग्नल न टूटे। भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने कुछ महीने पहले देश में कम कॉल दरों के हवाले से दरों में इजाफे की बहस शुरू की थी। भारत में औसतन 16 जीबी डेटा का मासिक शुल्क 2 डॉलर आता है जबकि अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में यह 50-60 डॉलर है। हाल ही में मित्तल ने कहा था कि सबसे बड़े कारोबारी (जियो) को शुल्क बढ़ाने की शुरुआत करनी चाहिए। वोडाफोन आइडिया के रविंदर टक्कर ने कहा था कि उनकी कंपनी कभी दरों में इजाफा करने में पीछे नहीं रही। प्रतीक्षा जारी रही और 2020 बिना शुल्क दरों में बढ़ोतरी के समाप्त हो गया। आशा की किरण यही है कि 2021 में डेटा का इस्तेमाल बढऩे का अनुमान है। यह इस उद्योग के लिए सकारात्मक संकेत है।
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