किसान आंदोलन: बिजली, पराली पर रजामंदी | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली December 30, 2020 | | | | |
नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच छठे दौर की वार्ता आज उस समय सकारात्मक ढंग से समाप्त हुई जब सरकार ने किसानों की चार प्रमुख मांगों में से दो स्वीकार कर लीं। चार जनवरी को अगले दौर की बातचीत में कृषि कानून समाप्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी स्वरूप देने पर निर्णय लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने यह बात स्वीकार कर ली है कि किसानों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए बने प्रदूषण नियंत्रण अध्यादेश के दायरे से बाहर रखा जाएगा। यानी किसानों के फसल अवशेष जलाने पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। सरकार ने यह सुनिश्चित करने की बात भी कही है कि मसौदा बिजली संशोधन अधिनियम राज्यों की मौजूदा सब्सिडी वाली व्यवस्था से छेड़छाड़ नहीं करेगा।
सूत्रों का कहना है कि संसद द्वारा सितंबर में पारित तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी गारंटी को कानूनी बनाने की प्रमुख मांगों को लेकर सरकार ने एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है जिसके बारे में अंतिम निर्णय अगली बैठक में लिया जा सकता है। ये दोनों मांगें प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की चार प्रमुख मांगों में प्रमुख रही हैं। किसानों के प्रदर्शन से संबंधित याचिका की सुनवाई कर रहे सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि किसान नेताओं, सरकारी अधिकारियों और स्वतंत्र विशेषज्ञों का एक पैनल गठित कर इस गतिरोध को तोड़ा जा सकता है।
बुधवार को बैठक समाप्त होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तीन कृषि कानूनों और एमएसपी पर चर्चा चल रही है और वह 4 जनवरी को अगले दौर की बैठक में जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि बातचीत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और दोनों पक्ष बिजली संशोधन कानून और फसल अवशेष जलाने संबंधी अध्यादेश के दंडात्मक प्रावधानों को लेकर एक सहमति पर पहुंचे हैं। तोमर ने कहा कि 50 फीसदी मांगों पर निर्णय हो गया है, शेष मांगों पर 4 जनवरी को विज्ञान भवन में चर्चा होगी।
उन्होंने किसान संगठनों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने प्रदर्शन के दौरान शांति और अनुशासन कायम रखा। साथ ही उन्होंने आह्वान किया कि भारी ठंड को देखते हुए बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को घर भेज दिया जाए। बैठक के बाद प्रदर्शन कर रहे संगठनों में से एक के नेता कलवंत सिंह संधू ने कहा कि आज की बातचीत बिजली और पराली जलाने पर केंद्रित थी जबकि अगली बैठक में एमएसपी गारंटी और तीन कृषि कानूनों पर चर्चा होगी। बातचीत में तोमर के साथ खाद्य एवं रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल थे। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के हजारों किसान मूल्य आश्वासन पर कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) समझौता और कृषि सेवाएं अधिनियम, कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवद्र्धन एवं सुविधा) तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सितंबर में लागू इन तीनों कानूनों को केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के बड़े सुधारों के रूप में पेश किया है। उसके अनुसार ये कानून बिचौलियों को खत्म करने के अलावा किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की सुविधा देते हैं।
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