धातु क्षेत्र में सुस्ती, दबाव और तेजी | राजेश भयानी / मुंबई December 30, 2020 | | | | |
वर्ष 2020 उन वर्षों में से एक रहा, जिनमें धातु और तेल जैसी जिंसों में बड़ा उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया। जहां दुनियाभर में कोविड-19 आधारित लॉकडाउन से 2020 के शुरुआती हिस्से में मांग वैश्विक रूप से प्रभावित की थी, आपूर्ति कटौती-आधारित तेजी और वाहन क्षेत्र में तेज सुधार बड़े थीम के तौर पर सामने आए। उदाहरण के लिए, इन जिंसों के लिए घरेलू मांग सितंबर से बढ़ी है और आगे भी तेजी बरकरार रहने के आसार हैं। कॉमट्रेंड्ज रिसर्च ऐंड फंड मैनेजमेंट के संस्थापक टी ज्ञानशेखर ने कहा, '2020 धातुओं के लिए सुस्ती, दबाव और तेजी वाला वर्ष रहा। वर्ष की शुरुआत कमजोरी के साथ हुई, क्योंकि वायरस का प्रसार हुआ और मार्च के अंत तक हालात बदतर हो गए जिससे सभी बाजारों में बड़ी गिरावट आई। लेकिन कोविड से आपूर्ति संबंधित समस्याओं, राजकोषीय वित्तीय पैकेजों, और वाहन क्षेत्र में बड़े बदलावों से बूम की स्थिति को बढ़ावा मिला।'
लौह अयस्क और तांबे की कीमतों में उतार-चढ़ाव काफी ज्यादा रहा। वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण धातु तांबा 2013 के बाद इस साल दिसंबर में अपने शीर्ष स्तरों पर पहुंच गई, जबकि लौह अयस्क सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है। इस्पात भी 2008 से सबसे ऊंचे स्तर पर है। धातु कीमतें 2020 में अब तक 10 से 27 प्रतिशत के बीच चढ़ी हैं।, हालांकि सीसा 2019 के अंत के स्तरों से मामूली ऊपर कारोबार कर रहा है। ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई कच्चा तेल इसके अपवाद हैं और वे अभी भी पिछले साल के अंत में दर्ज कीमतों से नीचे बने हुए हैं। तेल ने हाजिर बाजार में डिलिवरी खंड के लिए पहली बार कमजोर कीमतों पर कारोबार दर्ज किया। जिंस कीमतों में अचानक गिरावट की मुख्य वजह थी शुरू में चीन में कोरोनावायरस और लॉकडाउन, जिससे उत्पादन बाधित हुआ और उसके बाद दुनियाभर में आवाजाही प्रभावित हुई और उसके बाद कई अन्य देशों में भी लॉकडाउन लगाया गया, जिससे उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया। अमेरिका में, सबसे बड़ा तेल भंडार क्षेत्र भरा हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप डब्ल्यूटीआई अप्रैल में कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी पर 37 डॉलर गिरावट पर बंद हुआ। भारत में भी, कई ब्रोकरों ने कुछ सप्ताहों तक तेल में कारोबार बंद कर दिया, जिसके बाद एमसीएक्स-आधारित तेल अनुबंध गिर गए और कुछ ब्रोकरों को भारी नुकसान हुआ।
वेदांत लिमिटेड के समूह मुख्य कार्याधिकारी सुनील दुग्गल का कहना है कि 2020 में संकट के बाद, सितंबर से अच्छा सुधार देखा गया है, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था भी पटरी पर लौट रही है। दुग्गल का कहना है, 'हमें उम्मीद है कि 2021 मुख्य धातुओं और तेल दोनों के लिए मांग और कीमत प्राप्ति के संदर्भ में बेहतर वर्ष रहेगा, क्योंकि टीका कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ रहा है और अब ज्यादा समस्या नहीं रह गई है, जिससे आर्थिक वृद्घि में तेज सुधार देखा जा सकता है। जहां तेल को लॉकडाउन की वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ा, वहीं हम विभिन्न ईंधनों के लिए मांग अब कोविड से पहले जैसे स्तरों पर देख रहे हैं। इसलिए, तेल कीमतों में भी तेजी आने की संभावना है, क्योंकि बड़ा सुधार दिख रहा है।' भारत में इस्पात और लौह अयस्क खदानें इन धातुओं में तेजी का लाभ उठा रही हैं और वाहन क्षेत्र में सुधार से उन्हें मदद मिल रही है। सभी कंपनियों ने प्रत्येक गुजरते महीने में कीमतें बढ़ाई हैं। आगे भी यह रुझान बरकरार रहने की संभावना है।
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