आईपीओ में मौजूदा निर्गम योगदान निचले स्तर पर | सुंदर सेतुरामन / तिरुवनंतपुरम December 30, 2020 | | | | |
इस साल आरंभिक सार्वजनिक पेशकशों (आईपीओ) के जरिये न्यूनतम ताजा पूंजी उगाही हुई। हालांकि 2020 में आईपीओ के जरिये कोष उगाही दोगुनी से भी ज्यादा रही, लेकिन इसमें से ज्यादातर शेयरधारकों, प्रवर्तकों और निजी इक्विटी (पीई) निवेशकों द्वारा निकासी की गई थी। वर्ष 2020 में आईपीओ के जरिये जुटाई गई 26,611 करोड़ रुपये की रकम में, ताजा निर्गम हिस्सा महज 3,531 करोड़ रुपये या 13 प्रतिशत था। ताजा निर्गम योगदान 10 साल में सबसे कम दर्ज किया गया। वर्ष 2017 से आईपीओ की तीन-चौथाई कोष उगाही में सेकंडरी शेयर बिक्री शामिल रही है। विश्लेषकों का कहना है कि कई कंपनियां इन दिनों अपनी पहली पेशकश ला रही हैं और वे पीई निवेशकों द्वारा समर्थित छोटे व्यवसाय हैं।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, 'हमने पिछले 10 साल में भारतीय पूंजी बाजार की परिपक्वता देखी है। निजी इक्विटी और उद्यम पूंजी निवेशकों ने 2000 के मध्य में भारत पर ध्यान दिया। पिछले सात-आठ वर्षों में अपने उन्हें आईपीओ के जरिये अपने निवेश से बाहर निकलते देखा है।' सेकंडरी बिक्री का ऊंचा योगदान अनिवार्य तौर पर नकारात्मक नहीं है, क्योंकि इससे पीई निवेशकों को बाहर निकलने का अवसर मिलता है जिससे वह पूंजी नई कंपनियों में निवेश के लिए स्वतंत्र होती है। इसके अलावा, इससे प्रवर्तकों को अपनी कुछ होल्डिंग बेचने में मदद मिलती है।
हल्दिया ने कहा, 'ये पीई निवेशक अब कंपनियों को शुरुआती स्तर की जोखिम पूंजी मुहैया करा रहे हैं। यह एक वैश्विक घटनाक्रम है। अब हम प्राथमिक बाजार में कंपनियों की दिलचस्पी देख रहे हैं।' हालांकि आईपीओ पर सेकंडरी शेयर बिक्री का दबदबा भी चिंता का संकेत है, क्योंकि इससे सिर्फ इक्विटी स्वामित्व में बदलाव आता है। बाजार कारोबारियों का कहना है कि कुछ ही कंपनियां पूंजी-केंद्रित क्षेत्रों से बाजार में प्रवेश कर रही हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान, बड़े निर्गम वित्तीय कंपनियों द्वारा किए गए थे, जो अच्छी तरह से पूंजीकृत थीं और उन्हें बड़ी प्राथमिक पूंजी की जरूरत नहीं थी।
आईपीओ में प्राथमिक-सेकंडरी का मिश्रण कंपनी की फंडिंग जरूरत और मौजूदा निवेशकों द्वारा बाहर निकलने के रुझान पर केंद्रित है। विश्लेषकों के अनुसार, कंपनी की जरूरतों से ऊपर बढ़ती वृद्घिशील पूंजी आरओई को प्रभावित कर सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि 2020 में आईपीओ प्रवाह में वित्तीय सेवा और स्पेशियल्टी केमिकल कंपनियों का दबदबा रहा। स्पार्क कैपिटल के निवेश बैंकिंग प्रमुख स्कंद जयारामन ने कहा, 'कई पूंजी-केंद्रित कंपनियां अपनी लाभकारी ऑर्डर बुक बनाए रखने की अपनी क्षमता के साथ समस्याओं से जूझ रही थीं। उनके सामने मुक्त नकदी प्रवाह की समस्या बनी हुई थी। पूंजी-केंद्रित क्षेत्र में कई कंपनियों ने निवेशकों के लिए पूंजी नुकसान का सामना किया।'
पीई ने उन नए जमाने की कंपनियों में ज्यादा निवेश किया है जिन्हें ज्यादा पूंजी की जरूरत नहीं है और उनका आरओई काफी मजबूत है। जयारामन ने कहा, 'अक्सर, पीई निवेशक पांच से सात साल के बीच निवेश से बाहर निकलने पर ध्यान देते हैं।' विश्लेषकों का कहना है कि इन्फ्रा और निर्माण कंपनियों को बाजार में पैठ बढ़ाने के लिए उन्हें सबसे पहले अपना वित्तीय रिकॉर्ड सुधारना होगा। जहां अगले वित्त वर्ष के लिए आईपीओ प्रवाह आकर्षक दिख रहा है,वहीं ताजा निर्गम घटक कमजोर बना रह सकता है।
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