भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा गठित विशेष उद्देश्य इकाई (एसपीवी) दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे डेवलपमेंट लिमिटेड दिल्ली और मुंबई के बीच नए राजमार्ग के वित्तपोषण, निर्माण और परिचालन के लिए अगले 4 साल में 50,000 करोड़ रुपये जुटाने पर विचार कर रहा है। इस एसपीवी के माध्यम से एनएचएआई को अपने बही खाते को सीधे कर्ज से दूर रखने में मदद मिलेगी, लेकिन इस योजनाबद्ध वित्तपोषण का एक हिस्सा मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग 48 से आएगा, जो दिल्ली से शुरू होकर चेन्नई तक जाता है। यह राजमार्ग दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु होकर गुजरता है। ऐसा माना जा रहा है कि जरूरत पडऩे पर एनएच-48 पर बने 5 टोल प्लाजा एसपीवी को दिए जा सकते हैं, जिससे नए एक्सप्रेसवे को मदद मिल सके। इस प्रस्ताव का मतलब है उन टोल प्लाजा से एसपीवी के लिए स्थाई रूप से राजस्व आ सकेगा। इस साल एसपीवी 9,000 करोड़ रुपये उधारी ले सकता है, जबकि इसे पहले ही 29,000 करोड़ रुपये की पेशकश मिली है। दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे के वित्तपोषण, निर्माण व परिचालन के लिए इसका गठन अगस्त 2020 में किया गया था।एक गलियारे के लिए एसपीवी बनााकर एनएचएआई का मकसद संसाधनों का विविधीकरण करना और एक टिकाऊ व स्वत: धन जुटाने का तरीका विकसित करना है। अभी इस पर फैसला नहीं हुआ है कि क्या अन्य परियोजनाओं के लिए भी एसपीवी के माध्यम से धन जुटाया जाएगा या इस कांट्रैक्ट के फाइनैंशियल क्लोजर के बाद इसे खत्म कर दिया जाएगा, जो 31 मार्च 2021 में पूरा होने की उम्मीद है। 1,275 किलोमीटर लंबी दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे 8 लेन की होगी, जिसे भविष्य में 12 लेन तक बढ़ाया जा सकेगा। इसकी डिजाइन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने के मुताबिक तैयार की जा रही है और एनएचएआई का दावा है कि यह भारत की सबसे लंबी नई एक्सप्रेसवे परियोजना है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस हाइवे गुरुग्राम, राजस्थान के जयपुर औरर सवाई माधोपुर, मध्य प्रदेश और गुजरात के रतलाम और वडोदरा होकर गुजरेगा। यह इन राज्यों के सुदूरवर्ती इलाकों से होकर जाएगा। इस नेटवर्क पर 75 सुविधा केंद्र खोलने की योजना है और एक्सप्रेसवे के दोनों ओर 50 किलोमीटर की दूरी पर ये केंद्र होंगे। परियोजना की पूंजी लागत 82,514 करोड़ रुपये है, जिसमें जमीन अधिग्रहण पर 20,928 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की लागत 7 करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर से घटकर 80 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर हो गई है क्योंकि सुदूर इलाकों में जमीन अधिग्रहण की लागत कम है। परियोजना के महत्त्व को देखते हुए प्राधिकरण ने पूरा धन निवेश करने और इस परियोजना को विकसित करने का फैसला किया है। एसपीवी अपने खाते से कर्ज जुटाएगा, जबकि एनएचएआई निर्माण व ओऐंडएम के दौरान अपना परिचालन नियंत्रण बरकरार रखेगा। मार्च 2024 तक इस एक्सप्रेसवे के तैयार होने की संभावना है। इस कदम से एनएचएआई की राष्ट्रीय महत्त्व की बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनओं को लागू करने की क्षमता बढ़ेगी। भारतमाला परियोजना के तहत 20,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाना है, जिस पर अनुमानित रूप से 7 लाख करोड़ रुपये निवेश होगा। पहले चरण का काम 3 से 5 साल में पूरा होना है, जिसकी लागत 5.5 लाख करोड़ रुपये होगी। इसका वित्तपोषण विभिन्न स्रोतों से हो रहा है, जिसमें 2.09 लाख करोड़ रुपये बाजार उधारी से, 1.06 लाख करोड़ रुपये निजी निवेश से और 2.19 लाख करोड़ रुपये केंद्रीय सड़क फंड या टोल संग्रह से होना शामिल है।
