आईटीसी में हिस्सेदारी नहीं बेचेगी सरकार! | निकुंज ओहरी / नई दिल्ली December 29, 2020 | | | | |
सरकार आईटीसी में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना नहीं बना रही है क्योंकि उसे तंबाकू से लेकर आतिथ्य सेवा क्षेत्र तक विविध कारोबार करने वाली इस कंपनी में ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको (बीएटी) का प्रभाव बढऩे की आशंका है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। यह खबर ऐसे समय में आई है जब सरकार सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) का निजीकरण कर रही है और विनिवेश प्रक्रिया में भाग लेने के लिए वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित कर रही है। सरकार ने आईटीसी में जून 2018 से ही कोई हिस्सेदारी नहीं बेची है। कंपनी में स्पेसिफाइड यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (सूटी) के जरिये सरकार की हिस्सेदारी है। अधिकारी ने कहा, 'विडंबना है कि सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण और उनमें अपनी हिस्सेदारी को सीमित करने के लिए साहसिक कदम उठाए हैं लेकिन वह निजी क्षेत्र की एक कंपनी में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेचना चाहती है।Ó उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए विदेशी कंपनियों को अनुमति दी है।
सिगरेट बनाने वाली इस कंपनी में सूटी के जरिये सरकार की हिस्सेदारी जून 2018 से ही 7.9 फीसदी रही है। सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के तहत किसी भी तंबाकू विनिर्माता कंपनी में विदेशी निवेश पर रोक लगाई गई है। अधिकारी ने कहा कि सरकार को आशंका है कि यदि इस घरेलू कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी घटाई गई तो लंदन की कंपनी बीएटी उसके कामकाज में अपनी दखलअंदाजी बढ़ा सकती है। इसलिए सरकार 2018 उस घटना से बचना चाहती है जब बीएटी ने कर्मचारियों को स्टॉक ऑप्शंस आवंटित किए जाने संबंधी आईटीसी की योजना को अवरुद्ध करने का प्रयास किया था।
बीएटी की इस भारतीय कंपनी में 29 फीसदी हिस्सेदारी है। सरकार कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण अपने राजस्व में कमी देख रही है और वह भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन जैसे बड़े सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही है। सरकार इन कंपनियों में ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिये विनिवेशक प्राप्तियां हासिल करने की कोशिश कर रही है। हाल में उसने इंडियन रेलवे कैटरिंग ऐंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) में ऐसी पहल की है। वह ऐक्सिस बैंक में भी सूटी के जरिये अपनी हिस्सेदारी को कम कर रही है। इसके अलावा वह निजी क्षेत्र के तीसरे सबसे बड़े बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाने की योजना बना रही है। जून 2018 के बाद सरकार ने सूटी के जरिये ऐक्सिस बैंक में अपनी 9.6 फीसदी को घटाकर 3.9 कर ली है और आगे उसे घटाकर 3.2 फीसदी तक लाने की योजना है।
इस दौरान आईटीसी में सूटी के जरिये सरकार की हिस्सेदारी 7.9 फीसदी पर स्थिर रही। जबकि इस दौरान सरकारी बीमा कंपनियों के जरिये आईटीसी में अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत से अधिक रही है। सरकार जल्द ही एक निजीकरण नीति की घोषणा करने वाली है जिससे सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का रास्ता साफ होगा। अधिकारी ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व को अभी यह तय करना बाकी है कि आईटीसी में सूटी की हिस्सेदारी बेची जानी चाहिए अथवा नहीं।
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