सरकारी बैंकों को वित्त वर्ष 22 में जुटानी पड़ेगी 430 अरब रु. पूंजी | अभिजित लेले / मुंबई December 29, 2020 | | | | |
देश में 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 43,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी जुटाने की आवश्यकता पड़ेगी। रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की पूंजी जरूरत बढ़ गई है क्योंकि अगले वित्त वर्ष में 23,000 करोड़ रुपये की उनकी अतिरिक्त टीयर1 बॉन्डों (एटी1 बॉन्डों) के लिए कॉल ऑप्शन आने वाला है। ऋण वृद्घि को मजबूती देने के लिए भी पूंजी की आवश्यकता पड़ेगी क्योंकि उनका आंतरिक पूंजी सृजन अगले वर्ष भी कमजोर बना रहा सकता है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि अगले वर्ष सरकार पर पुनर्पूंजीकरण का दबाव कम करने के लिए बाजारों से पूंजी जुटाने की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की योग्यता महत्त्वपूर्ण होगी।
बैंक की ऋण वृद्घि वित्त वर्ष 2022 में 6 से 7 फीसदी बढ़ सकती है जो वित्त वर्ष 2021 में अनुमानित तौर पर 3.9 से 5.2 फीसदी और वित्त वर्ष 2020 में 6.1 फीसदी थी। एटी1 बॉन्डों की प्रकृति बेमियादी होती है। इसमें बैंकों के पास इसके जारी होने से पांच वर्ष के बाद और उसके बाद हर साल कॉल ऑप्शन होता है। इसके लिए नियामकीय मंजूरी लेनी होती है। निवेशक मुख्य तौर पर इस उम्मीद के साथ निवेश करते हैं कि जब कॉल ऑप्शन का समय आएगा तब वे इसका लाभ उठाएंगे। चालू वर्ष में सरकारी बैंकों के लिए एटी1 बॉन्ड बाजार में सुधार हुआ है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अधिक सरकारी बैंकों ने एटी1 बॉन्ड जारी किया है। चालू वर्ष में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक की ओर से जारी एटी1 बॉन्डों को निवेशकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
इसके अलावा, करीब तीन साल के लंबे अंतराल के बाद कुछ सरकारी बैंक बाजारों से कुल 75 अरब रुपये की इक्विटी पूंजी भी जुटाने में सफल रहे। इसके साथ ही केंद्र सरकार का वित्त वर्ष 2021 के लिए 200 अरब रुपये का बजटीय इक्विटी पूंजी निवेश चालू वित्त वर्ष के लिए पर्याप्त होना चाहिए। निजी क्षेत्र के बैंकों का उल्लेख करते हुए इक्रा ने कहा कि बड़े निजी बैंकों की पूंजी के मामले में स्थिति मजबूत है। इन बैंकों ने वित्त वर्ष 2021 के पहले 9 महीनों में 544 अरब रुपये की पूंजी जुटाई है जिसके बाद वे संपत्ति गुणवत्ता के मोर्चे पर दबावग्रस्त मामले के परिदृश्य को झेल सकते हैं। बड़ी मात्रा में पूंजी जुटाने और मुनाफे में सुधार की उम्मीद के साथ ये बैंक वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 में 260 अरब रुपये के अपने एटी1 बॉन्डों के कॉल ऑप्शन का निपटान कर सकते है।
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