विवाद से विश्वास योजना का बढ़ेगा वक्त! | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली December 29, 2020 | | | | |
विवाद से विश्वास प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना की अवधि दो दिन में खत्म होने वाली है। सरकार इसकी अवधि कम से कम एक महीने और बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस योजना में बहुत मामूली लोग शामिल हुए और उद्योग जगत के प्रतिनिधि घोषणा करने के लिए अतिरिक्त वक्त की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा हाल में पेश फेसलेस अपील व्यवस्था में आ रही तकनीकी दिक्कतों से नए नोटिस भेजने और कम समय में अपील की पुष्टि करने में अधिकारियों के सामने चुनौती आ रही है।
इस योजना ने दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में गति पकड़ी, लेकिन कुल संभावित मामलों में करीब 12 प्रतिशत ही इस योजना के तहत आए। उद्योग के प्रतिनिधिमंडल ने कर संबंधी कुछ अन्य अंतिम तिथियों जैसे आयकर रिटर्न और वस्तु एवं सेवाकर के वित्त वर्ष 18 और वित्त वर्ष 19 के रिटर्न दाखिल करने की तिथि के साथ इसकी तिथि बढ़ाए जाने का अनुरोध किया है, जो 31 दिसंबर को खत्म हो रही है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'कुछ प्रतिनिधिमंडलों ने विवाद समाधान योजना के तहत घोषणा के लिए और वक्त की मांग की है, क्योंकि तमाम करों की अंतिम तिथि इसी दिन पड़ रही है। अंतिम तिथि निकट आते ही योजना ने रफ्तार पकड़ी और ज्यादा लोग घोषणा करने आए। इस योजना की तिथि बढ़ाया जाना उचित हो सकता है क्योंकि फेसलेस अपील व्यवस्था में तकनीकी मसले आए। इस पर फैसला सर्वोच्च स्तर पर ही लिया जाएगा।'
इस योजना की घोषणा 1 फरवरी को पेश किए गए बजट में की गई थी। योजना के तहत 31 जनवरी 2020 तक के बकाये पर 100 प्रतिशत विवादित कर के भुगतान और 25 प्रतिशत विवादित जुर्माने या ब्याज या शुल्क के भुगतान पर शेष ब्याज, जुर्माना और दंड माफ किए जाने का प्रावधान था। इस योजना के तहत 31 दिसंबर 2020 तक आवेदन करने का प्रावधान है, जबकि सरकार ने कोविड महामारी को देखते हुए अक्टूबर में भुगतान करने की तिथि बढ़ाकर 31 मार्च 2021 कर दी है। सूत्रों के मुताबिक कर विभाग इस योजना के तहत विवाद के निपटान के लिए बड़े कारोबारियों तक पहुंच रहा है, लेकिन इसे लेकर प्रतिक्रिया नहीं आ रही है। एक और अधिकारी ने कहा, 'मुख्य रूप से इस योजना के तहत छोटे कारोबारी सामने आए हैं, जहां याचिका की लागत विवादित राशि की की तुलना में कम है।'
आयकर अपील न्यायाधिकरण, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में चल रहे मामलों में ज्यादातर फैसले करदाताओं के पक्ष में आते हैं, जिसकी वजह से इस योजना में शामिल होना आकर्षक नहीं है। सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत मामले ही उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय और आईटीएटी में विभाग के पक्ष में आते हैं और और सीआईटी (ए) मेंं 40 प्रतिशत मामलों का समाधान कर विभाग के पक्ष में हो जाता है। फेसलेस व्यवस्था के तहत हर आयकर आयुक्त (अपील) को 15 दिसंबर को 1,400 मामले आवंटित किए गए थे और उनसे कहा गया था कि वे तेजी से इस योजना में शामिल होने वालों के मामलों में वापसी आदेश जारी करें और शेष को नए सिरे से नोटिस भेजें और इस मामले के समाधान के विकल्प दें या सुनवाई की तिथि तय करें।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'यह व्यवस्था सही काम नहीं कर रही है और इसमें कई व्यवधान है। अब नोटिस भेजने और अपील की पुष्टि के लिए बमुश्किल वक्त बता है। हममें से ज्यादातर सिर्फ आधे करदाताओं को महज नोटिस भेजने में सफल हुए हैं, जबकि इस विंडो के बंद होने को 2 दिन ही बचे हैं।' फेसलेस अपील व्यवस्था पेश किए जाने के पहले सीआईटी (ए) को आदेशों को रोके रखने और करदाताओं को विवाद से विश्वास योजना में हिस्सा लेने को प्रोत्साहित करने को अनौपचारिक रूप से कहा गया था।
सरकार के अनुमान के मुातबिक इस योजना का लाभ उठाने के पात्र करीब 4,00,000 मामले हैं, जो 9.3 लाख करोड़ रुपये के हैं। लेकिन सरकार को इस योजना से 17 नवंबर तक महज 72,000 करोड़ रुपये ही मिले हैं। 17 नवंबर तक कुल 45,855 घोषणाएं इस योजना के तहत की गई हैं, जिसमें विवादित कर मांग 31,731 करोड़ रुपये थी। जहां तक सार्वजनिक उपक्रमों का सवाल है, योजना के तहत एक लाख करोड़ रुपये के कर विवाद का समाधान योजना के तहत किया गया है।
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