केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वर्ष 2021 की पहली छमाही में अमेरिका में डिजाइन की गई टेस्ला इलेक्ट्रिक कार भारत में उपलब्ध होगी। गडकरी ने कहा कि शुरुआत में पूरी तरह तैयार कार आयात की जाएगी, इसके बाद आंशिक रूप से तैयार कार भारत में आएगी तथा आखिर में इस कार को पूरी तरह भारत में ही निर्मित किया जाएगा। हालांकि बाद वाली परिस्थितियां तैयार होने में अभी वक्त लग सकता है। उनका होना न होना इस बात पर तो निर्भर करेगा ही कि शहरी भारत में टेस्ला को लेकर कैसी मांग नजर आती है लेकिन वह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कैसा नियामकीय माहौल तैयार होता है। यह बात ध्यान देने लायक है कि इलेक्ट्रिक वाहन मौजूदा सरकार की नई औद्योगिक नीति का अहम घटक हैं। इसके बावजूद देश में कम उत्सर्जन वाला परिवहन क्षेत्र विकसित करने के लिए अभी जो कुछ किया जा रहा है उससे अधिक कदम उठाने की आवश्यकता होगी। फिलहाल जो योजनाएं हैं वे इस उभरते क्षेत्र के लिए बस बुनियादी प्रोत्साहन प्रदान करने वाली हैं। अलग कर या सब्सिडी की व्यवस्था पर सरकार पहले ही ध्यान दे चुकी है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों को शहरी इलाकों में सहायक बुनियादी ढांचे के लिए अधिक स्थायी और सतत निवेश की दरकार है। उदाहरण के लिए इन्हें चार्जिंग स्टेशन ओर विशेष पार्किंग की आवश्यकता होगी। सरकार ने देश भर में 70,000 चार्जिंग स्टेशन बनाने की योजना की घोषणा की है और कॉर्पोरेट जगत ने भी इसमें रुचि दिखाई है। यह बात ध्यान देने लायक है कि शहरी बुनियादी ढांचे में निवेश काफी विवाद का विषय हो सकता है। यहां कुछ अलग सोच की आवश्यकता होगी। शायद एक विशेष कंपनी बनाना बेहतर हो जिसमें आधी हिस्सेदारी केंद्र सरकार की हो और आधी निजी क्षेत्र की। यह कंपनी विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने के लिए भूमि बैंक तैयार कर सकती है और बाद में इन्हें लाइसेंस जारी किए जा सकते हैं या इनकी नीलामी की जा सकती है। इस व्यापक बुनियादी ढांचा विकास के लिए पहले से तैयारी रखनी होगी ताकि इसे किफायती और पारदर्शी बनाया जा सके। इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर भारत में कुछ विशिष्ट दिक्कत हैं। मिसाल के तौर पर बिजली की आपूर्ति में निरंतरता, गुणवत्ता, कीमत और उपलब्धता पर सवाल रहेंगे। यदि उपभोक्ताओं को यह आशंका होगी कि उनकी महंगी गाडिय़ां वोल्टेज में उतार-चढ़ाव से प्रभावित होंगी या बैटरी की कीमत एक ही शहर के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग होगी तो उन्हें परेशानी होना तय है। देश के कई हिस्सों में अभी भी चौबीस घंटे बिजली की उपलब्धता नहीं है। हालांकि इन आशंकाओं के बावजूद इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों की तादाद लगातार बढ़ी है लेकिन उनकी कीमत अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहनों से एकदम अलग है और उनके मालिकों की जरूरतें और आदतें भी एकदम अलहदा हैं। अहम बात यह है कि कई पुराने कार निर्माताओं ने इस बात पर ध्यान दिया है कि पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की नीति भारत के लिए उपयुक्त नहीं भी हो सकती। सरकार को यह बात ध्यान में रखनी होगी कि उसका वास्तविक लक्ष्य परिवहन क्षेत्र से कार्बन उत्सर्जन में कमी करना, हवा की गुणवत्ता में सुधार करना और ऊर्जा के क्षेत्र में स्वायत्तता हासिल करना है। निजी चार पहिया वाहन क्षेत्र को पूरी तरह इलेक्ट्रिक करना, इस लक्ष्य को हासिल करने का एक तरीका भर है और जरूरी नहीं कि यह श्रेष्ठ भी हो। कुछ कार निर्माता हाइब्रिड कारों के लिए प्रोत्साहन चाहते हैं। सरकार को ऐसे प्रोत्साहन पर विचार करना चाहिए जो हर तरह की कार के उत्सर्जन प्रभाव को ध्यान में रखकर तैयार किया गया हो।
