डिलिवरी प्रतिशत 20 महीने में सर्वाधिक | सुंदर सेतुरामन / तिरुवनंतपुरम December 29, 2020 | | | | |
कमजोर बाजार के हालात और नई मार्जिन व्यवस्था का समावेश निवेशकों को दीर्घावधि पोजीशन लेने के लिए कम प्रभावित कर रहा है। लॉन्ग डिलिवरी प्रतिशत में वर्ष की समाप्ति में तेजी आई है और पिछले दो महीनों में यह 39 प्रतिशत दर्ज किया गया, जो अप्रैल 2019 से सर्वाधिक है। निवेश ऐसे शेयरों में डिलिवरी लेने को इच्छुक हैं, जिनमें उन्हें दीर्घावधि निवेश अवसर दिख रहे हैं। मार्च 2020 के लिए, डिलिवरी-आधारित कारोबार 37.2 प्रतिशत पर दर्ज किया गया। हालांकि दुनियाभर में कोरोनावायरस आधारित लॉकडाउन से मंदी का भय पैदा हुआ जिससे बाद के महीनों में डिलिवरी प्रतिशत में गिरावट को बढ़ावा मिला। लेकिन आखिर में, नवंबर और दिसंबर में यह आंकड़ा काफी सुधर गया।
नए मार्जिन नियम, मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में सुधार, और आईपीओ बाजार में उत्साह का इस आकर्षक डिलिवरी प्रतिशत में योगदान रहा है। सितंबर 2020 से, ब्रोकरों को निवेशकों से अपफ्रंट मार्जिन लेने की जरूरत है। मार्जिन मानक दिसंबर से प्रभावी हुए हैं। ब्रोकर द्वारा मुहैया कराया जाने वाला अधिकतम इंट्रा-डे लेवरेज सीमित किया गया है और 1 सितंबर 2021 तक इसे कम रखा जाएगा। इसके बाद ब्रोकर कैश सेगमेंट के लिए एफऐंडओ सेगमेंट तथा वीएआर+ईएलएम के लिए एसपीएएन+ के समान अधिकतम लेवरेज मुहैया करा सकेंगे। एसपीएएन जोखिम का स्टैंडर्ड पोर्टफोलियो विश्लेषण है, वीएआर जोखिम पर वैल्यू, और ईएलएम एक्स्ट्रीम रिस्क मार्जिन है।
नए मानकों में ग्राहकों से अग्रिम मार्जिन का संग्रह अनिवार्य किया गया है, जो पीक मार्जिन या ऐंड-ऑफ-द-डे (ईओडी) मार्जिन (जो भी ज्यादा) हो सकता है। सितंबर 2021 से, 100 प्रतिशत अपफ्रंट मार्जिन कारोबार पूरा होने से पहले उपलब्ध कराना होगा। कोटक सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी जयदीप हंसराज ने कहा, 'शुरू में, ग्राहकों को दिया जाने वाला लेवरेज काफी ज्यादा था। लेकिन नए मार्जिन नियम सितंबर से प्रभावी होने से लेवरेज काफी घट गया है। अब लोग नकदी बाजार पर जोर दे रहे हैं। इसके अलावा, चूंकि बाजार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, इसलिए लोग अपने शेयर उसी दिन बेच देने के बजाय डिलिवरी में उत्साह दिखा रहे हैं।'
येस सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत प्रभाकरण ने कहा कि नए मार्जिन नियमों में स्वत: ही कारोबार प्रवृत्ति पर अंकुश लगा है। सेंसेक्स इस साल अब तक 14 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ा है। समान अवधि में बीएसई मिडकैप सूचकांक 19 प्रतिशत और बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 31 प्रतिशत चढ़े। विश्लेषकों का कहना है कि छोटे निवेशक अब मिड और स्मॉलकैप शेयरों में ज्यादा सौदे कर रहे हैं, क्योंकि ये शेयर बेहतर प्रतिफल दे रहे हैं। इसके अलावा, निवेशकों में यह धारणा भी है कि कम कीमत वाले शेयरों में ज्यादा तेजी की संभावना रहती है।
प्रभाकरण ने कहा, 'छोटे निवेशक पारंपरिक तौर पर लार्ज-कैप में ज्यादा दांव नहीं लगाते हैं। डिलिवरी का प्रतिशत मिड और स्मॉलकैप में ज्यादा है। लंबे समय के बाद, हम इन शेयरों में निवेशकों की अच्छी भागीदारी देख रहे हैं।' हालांकि डिलिवरी प्रतिशत भविष्य में मौजूदा स्तरों से कमजोर पडऩे का अनुमान है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी धीरज रेल्ली ने कहा, 'उतार-चढ़ाव बढऩे से कुल कारोबार में इजाफा होगा, लेकिन डिलिवरी से संबंधित कारोबार घटेगा। जब हम 100 प्रतिशत पीक मार्जिन दर्ज करेंगे, तो कुल कारोबार घट जाएगा, और डिलिवरी में सुधार दिखेगा।'
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