रीप्लेसमेंट बाजार से टायर बिक्री में मदद | टी ई नरसिम्हन / चेन्नई December 28, 2020 | | | | |
मांग में सुधार को ध्यान में रखते हुए टायर निर्माताओं ने क्षमता इस्तेमाल पर ध्यान देना शुरू किया है। खासकर रीप्लेसमेंट बाजार की वजह से टायरों की मांग में इजाफा दर्ज किया जा रहा है। जहां कुछ कंपनियों ने अपने कुछ पूंजीगत खर्च को टाल दिया है, वहीं कुछ ने इस उम्मीद से इसमें विस्तार करने का निर्णय लिया है कि मांग आगामी वित्त वर्ष में बेहतर रहेगी। वाहन निर्माताओं के संगठन (एटमा) के अनुसार, लॉकडाउन और पहली तिमाही में आवाजाही पर प्रतिबंध की वजह से टायर उत्पादन वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही के दौरान 30 प्रतिशत तक घटा है। इससे उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ा। रीप्लेसमेंट और ओई सेगमेंट, दोनों से मांग में गिरावट की वजह से भी उत्पादन प्रभावित हुआ। कुल टायर उत्पादन अप्रैल-सितंबर अवधि में सालाना आधार पर 30 प्रतिशत तक घट गया। कारोबार 2018-19 के 63,000 करोड़ रुपये से 5 प्रतिशत तक घटकर वित्त वर्ष 2019-20 के 60,000 करोड़ रुपये पर रह गया, जो एक दशक से ज्यादा समय में पहली गिरावट थी।
लॉकडाउन के संदर्भ में कुछ नरमी के बाद, उद्योग के लिए मांग में तेजी आने लगी है और खासकर मजबूत रीप्लेसमेंट बाजार से इस उद्योग को मदद मिल रही है। जहां मूल उपकरण निर्माताओं के लिए बिक्री वित्त वर्ष 2020 में सालाना आधार पर 16.3 प्रतिशत घटी, वहीं रीप्लेसमेंट बाजार में बिक्री समान अवधि में 2.6 प्रतिशत तक कमजोर रही। इंडियारेटिंग्स के अनुसार रीप्लेसमेंट बाजार का योगदान वित्त वर्ष 2020 में बढ़कर 58 प्रतिशत पर पहुंच गया। अपोलो टायर्स के अध्यक्ष (एशिया प्रशांत, मध्य पूर्व और अफ्रीका-एपीएमईए) सतीश शर्मा ने कहा, 'हमने यात्री कार और ट्रक बस टायर सेगमेंटों, खासकर रीप्लेसमेंट बाजार में, में अच्छी तेजी दर्ज की है और पिछले कुछ महीनों में शानदार बिक्री दर्ज की गई है।' जेके टायर ऐंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक रघुपति सिंघानिया का कहना है कि मांग में सुधार की रफ्तार सभी सेगमेंट में मजबूत है। यात्री कार, एलसीवी, 2-3 पहिया और कृषि से संबंधित टायरों की मांग बढ़ रही है। यह देखना उत्साहजनक है कि यात्री खंड की बिक्री सर्वाधिक ऊंचे स्तरों पर पहुंच गई है। बड़े वाणिज्यिक वाहनों के टायरों की बिक्री अपेक्षाकृत कम रहती है। रीप्लेसमेंट मांग अच्छी है, लेकिन ओईएम में तेजी धीरे धीरे आ रही है। कंपनी की निर्माण इकाइयां मौजूदा समय में 80 प्रतिशत से ज्यादा के क्षमता इस्तेमाल पर परिचालन कर रही हैं। यह कोविड-पूर्व स्तरों के मुकाबले बेहतर है।
सिएट के सीओओ अर्णव बनर्जी ने कहा कि कृषि और दोपहिया से संबंधित टायर खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि नकदी तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्घि की वजह से इनमें सुधार देखा जा रहा है। यात्री कार सेगमेंट भी, खासकर छोटे शहरों में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। वाणिज्यिक टायर खंड का संपूर्ण जीडीपी वृद्घि से संबध है और धीरे धीरे इसमें सुधार आ रहा है। आयात नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा 'आत्मनिर्भर भारत' के लिए उठाए गए कदमों से भी मदद मिली है। सिएट में क्षमता इस्तेमाल 95 प्रतिशत स्तरों पर है, जो कोविड-पूर्व के मुकाबले ज्यादा है। उन्होंने कहा, 'हम 80 प्रतिशत के दीर्घावधि क्षमता इस्तेमाल को अच्छा समझ रहे हैं, जैसा कि यह कोविड से पहले था।' बनर्जी ने कहा कि सिएट टीबीआर, पीसीआर और दोपहिया के साथ साथ एग्री रेडियल जैसे सभी प्रमुख श्रेणियों में निवेश कर रही है। क्षमता सुधार बरकरार है और इसलिए उपयोग दर में मदद मिल रही है।
सिंघानिया ने कहा कि वह अगली कुछ तिमाहियों को लेकर उत्साहित हैं और मान रहे हैं कि उद्योग अपनी सुधार की राह पर कायम रहेगा। 2021 में, इन्फ्रा, स्क्रेपेज पॉलिसी पर सरकारी खर्च और व्यक्तिगत वाहनों के लिए पसंद ने इस उद्योग के लिए अनुकूल परिवेश तैयार किया है। हालांकि फिलहाल, कंपनी ने अपना निवेश रोक दिया है। इंड-रा को ओईएम बिक्री में 20-25 प्रतिशत की भारी गिरावट के बावजूद टायर उद्योग के कारोबार में मध्यम एक अंक की गिरावट की आशंका है, क्योंकि रीप्लेसमेंट बाजार से इस उद्योग को मदद मिलती रहेगी। पूरे उद्योग को आयातित टायरों पर और ज्यादा सख्ती/शुल्कों से भी मदद मिल सकती है।
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