प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देशवासियों से अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले विदेश में निर्मित वस्तुओं के विकल्प के रूप में मौजूद भारतीय उत्पादों को अपनाने की अपील की और कहा कि उन्हें देश के लिए इसे नववर्ष के संकल्प के तौर पर लेना चाहिए। आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 72वें और इस साल के आखिरी संस्करण में प्रधानमंत्री ने कहा कि 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत 'वोकल फॉर लोकल' के मंत्र को देश की जनता ने हाथोहाथ लिया है। इस अवसर पर उन्होंने निर्माताओं तथा उद्योग जगत से विश्वस्तरीय उत्पाद बनाना सुनिश्चित कर 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में मजबूत कदम आगे बढ़ाने का भी आग्रह किया। 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को लेकर नागरिकों के अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा, 'वोकल फॉर लोकल आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में अब यह सुनिश्चित करने का समय है कि हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हों।' उन्होंने कहा कि लोग अब भारत में बने उत्पादों की मांग कर रहे हैं और यहां तक कि दुकानदार भी भारत में बने उत्पादों को बेचने पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा, 'देशवासियों की सोच में कितना बड़ा परिवर्तन आ रहा है और वह भी एक साल के भीतर-भीतर। इस परिवर्तन को आंकना आसान नहीं है। अर्थशास्त्री भी इसे अपने पैमानों पर तौल नहीं सकते।' मोदी ने कहा कि हर नए साल में देशवासी कोई न कोई संकल्प लेते हैं और इस बार भारत में बने उत्पादों का इस्तेमाल करने का संकल्प लें। उन्होंने कहा, 'मैं देशवासियों से आग्रह करूंगा कि दिनभर इस्तेमाल होने वाली चीजों की आप एक सूची बनाएं। उन सभी चीजों की विवेचना करें और यह देखें कि अनजाने में कौन सी विदेश में बनी चीजों ने हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है तथा एक प्रकार से हमें बंदी बना दिया है। भारत में बने इनके विकल्पों का पता करें और यह भी तय करें कि आगे से भारत में बने, भारत के लोगों के पसीने से बने उत्पादों का हम इस्तेमाल करें।' प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में लोगों ने मजबूत कदम आगे बढ़ाया है और निर्माताओं तथा उद्योग जगत के लिए 'जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट' की सोच के साथ काम करने का उचित समय है। उन्होंने कहा, 'वोकल फॉर लोकल आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में अब, यह सुनिश्चित करने का समय है कि हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हों। जो भी विश्व में सर्वश्रेष्ठ है, वह हम भारत में बनाकर दिखाएं। इसके लिए हमारे उद्यमी साथियों को आगे आना है। स्टार्टअप को भी आगे आना है।' उन्होंने 'वोकल फॉर लोकल' की भावना को बनाए रखने, बचाए रखने और बढ़ाते रहने का देशवासियों से आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में कश्मीरी 'केसर' को मिले जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) का जिक्र किया और कहा कि इस नई पहचान के बाद केंद्र सरकार इसे वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय ब्रांड बनाने की मंशा रखती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब कश्मीरी केसर का निर्यात बढ़ेगा तथा इससे 'आत्मनिर्भर भारत' बनाने के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। मई महीने में कश्मीरी केसर को मिले जीआई टैग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, 'कश्मीर का केसर बहुत विशिष्ट है और दूसरे देशों के केसर से अलग है। कश्मीर के केसर को जीआई टैग से एक अलग पहचान मिली है। इसके जरिये हम कश्मीरी केसर को एक वैश्विक लोकप्रिय ब्रांड बनाना चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि केसर जम्मू और कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है और यह सदियों से कश्मीर से जुड़ा हुआ है जो मुख्य रूप से पुलवामा, बडगाम और किश्तवाड़ जैसी जगहों पर उगाया जाता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि कश्मीरी केसर को जीआई टैग की पहचान मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्केट में इसे लॉन्च किया गया। उन्होंने कहा, 'अब इसका निर्यात बढऩे लगेगा। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने के हमारे प्रयासों को और मजबूती देगा।' प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के जरिये देशवासियों से कूड़ा-कचरा न फैलाने का संकल्प लेने का भी आग्रह किया और एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से देश को मुक्त करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने 2014 और 2018 के बीच तेंदुओं की संख्या में 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे देश के लिए 'बड़ी' उपलब्धि करार दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेहसिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। 'मन की बात' के दौरान किसानों ने बजाई 'थाली' केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम के दौरान पंजाब और हरियाणा के कुछ स्थानों पर किसानों ने 'थाली' बजाई। किसान नेताओं ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर 20 दिसंबर को संवाददाता सम्मेलन में लोगों से प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के दौरान इन कानूनों के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए थाली बजाने को कहा था। प्रधानमंत्री ने मार्च में लोगों से कोरोनावायरस से निपटने में अग्रिम पंक्ति के लोगों का आभार जताने के लिए पांच मिनट के लिए ताली, 'थाली' या घंटी बजाने के लिए कहा था। किसानों ने पंजाब के अमृतसर, संगरूर, तलवंडी साबो, बठिंडा, तरनतारन और गुरदासपुर जिलों तथा हरियाणा के रोहतक और जींद जिलों में विरोध प्रदर्शन के दौरान 'थालियां' बजाईं।
