छोटी कंपनियां नहीं जुटा पाईं पूंजी | सचिन मामबटा / मुंबई December 27, 2020 | | | | |
लघु एवं मझोली कंपनियों (एसएमई) को शेयर बाजार से रकम जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा जबकि बड़ी कंपनियों को नकदी की भरमार से काफी फायदा मिला। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि एसएमई ने साल 2020 में 159.1 करोड़ रुपये जुटाए। ऐसे में नवंबर तक आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिए जुटाई गई रकम में एसएमई की हिस्सेदारी महज 0.63 फीसदी रही। यह पहला मौका है जब आईपीओ फंडों में उसकी हिस्सेदारी एक फीसदी से कम रही। साल 2012 में एसएमई के लिए एक अलग क्षेत्र बनाया गया। इससे पहले का निचला स्तर शुरुआती साल में देखने को मिला था जब यह महज 1.48 फीसदी रहा था।
एसएमई के कुल इश्यू की संख्या साल 2019 के 51 के मुकाबले घटकर 27 रह गई। इस क्षेत्र के लिए जुटाई गई रकम 74.5 फीसदी की गिरावट के साथ 159.1 करोड़ रुपये रह गई। जबकि बड़ी कंपनियों की तरफ से जुटाई गई रकम दोगुने से ज्यादा बढ़कर 24,962.1 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। एसएमई के शेयर बाजार में लाने में मदद करने वाली इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक महावीर लूणावत ने कहा, एसएमई को कोविड का संक्रमण लग गया। महामारी में कई कंपनियां मजबूत बनकर उभरीं और निवेशकों की दिलचस्पी धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है।
इस क्षेत्र का परिदृश्य काफी खराब रहा जब देश जून में लॉकडाउन से बाहर निकला। एसएसएमई के राजस्व में बड़ी कंपनियों के मुकाबले ज्यादा गिरावट आई और यह जानकारी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के 15 जून के नोट से मिली। भारतीय कंपनी जगत के राजस्व में 15 फीसदी गिरावट की आशंका है। एमएसएमई के लिए यह गिरावट 17 से 21 फीसदी रह सकती है। एमएसएमई का मार्जिन एबिटा के स्तर पर रह सकता है और यह पांच फीसदी या इससे कम रह सकता है। क्रिसिल के नोट में कहा गया था, परिचालन स्तर पर तेज गिरावट से क्रेडिट की क्षमता भी प्रभावित होगी और इन इकाइयों की नकदी की स्थिति और खराब होगी, खास तौर से कार्यशील पूंजी के मोर्चे पर। इस प्रक्रिया में औसत ब्याज सर्विस कवरेज अनुपात 1-1.5 गुने पर आ सकता है, जो वित्त वर्ष 2017 से 2020 के बीच 2.4 गुना रहा था। आरबीआई की तरफ से घोषित मोरेटोरियम को ध्यान में र खने के बावजूद ऐसी संभावना है।
प्राइम डेटाबास के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, एसएमई पर महामारी का असर पड़ा है। हालांकि बड़ी कंपनियां इस महामारी से कम प्रभावित हुईं। सामान्य स्थिति बहाल होने में कुछ और समय लग सकता है। 2 दिसंबर की एडलवाइस सिक्योरिटीज इकनॉमी रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे कुछ और चुनौतियां देखने को मिल सकती हैं। डेट के मोर्चे पर हालांकि चुनौती बनी हुई है, लेकिन इक्विटी मार्केट में तेजी देखने को मिल रही है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने साल 2020 में भारतीय शेयर बाजार में 1.65 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स को अब तक के सर्वोच्च स्तर 47,000 के पार निकलने में मदद मिली है। एसऐंडपी बीएसई एसमएमई आईपीओ इंडेक्स अभी भी अब तक के सर्वोच्च स्तर से 33.3 फीसदी नीचे है।
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