व्यक्तिगत ऋण कारोबार में सरकारी बैंक आगे | अभिजित लेले / मुंबई December 25, 2020 | | | | |
कोविड-19 महामारी से उपजे आर्थिक व्यवधानों के कारण अगस्त 2020 में समग्र व्यक्तिगत ऋण की उत्पत्ति की मात्रा में सालाना आधार पर 42.2 फीसदी की कमी आई। हालांकि इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कारोबारी दृष्टिïकोण में बदलाव देखने को मिला जब समान अवधि में उनके यहां ऋण उत्पत्ति में 66.5 फीसदी की वृद्घि नजर आई। यह आंकड़ा क्रेडिट ब्यूरो सिबिल का है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसयू) अपने समकक्ष बैंकों के मुकाबले ज्यादा आकर्षक दरों पर व्यक्तिगत ऋण की पेशकश कर रहे हैं। वित्तीय परेशानियों का सामना कर रहे उपभोक्ता और नकदी की तुरंत जरूरत वाले लोग सरकारी बैंकों से व्यक्तिगत ऋण ले रहे हैं।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया जैसे सरकारी बैंक 8.9 फीसदी से 10.50 फीसदी के बीच ब्याज दर की पेशकश कर रहे हैं। वहीं निजी क्षेत्र के बैंक 10.49 फीसदी से 12 फीसदी के बीच ब्याज दर की पेशकश करते हैं। वित्त कंपनियां 11 फीसदी से लेकर 24 फीसदी की ऊंची ब्याज दर पर ऋणों की पेशकश करती हैं। सिबिल ने कहा कि व्यक्तिगत ऋण उत्पत्ति की मात्रा में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी अगस्त 2020 में बढ़कर 26.8 फीसदी हो गई जो अगस्त 2019 में 9.6 फीसदी थी। ऋण उत्पत्ति के मामले में एनबीएफसी बाजार हिस्सेदारी गंवा रही है और अगस्त 2020 में इसकी हिस्सेदारी घटकर 16.8 फीसदी रह गई जो एक वर्ष पहले की समान अवधि में 39.5 फीसदी थी।
वरिष्ठï बैंकरों ने कहा कि व्यक्तिगत ऋण कारोबार को बढ़ाने की रणनीति पूरी तरह सोची समझी रणनीति रही है। जोखिम आकलन और ग्राहक के चुनाव में पूरी कठोरता बरती जाती है। इन ऋणों में से ज्यादातर ऋण मौजूदा ग्राहकों को दिए गए हैं जिनके साख और पिछली उपलब्धि के बारे में पता होता है। एसबीआई के एक कार्यकारी ने कहा कि नए ग्राहकों को व्यक्तिगत ऋण देने के मामले में सरकारी और सरकार के स्वामित्व वाले प्रतिष्ठïानों में कार्यरत वेतनभोगी कर्मचारियों को शीर्ष प्राथमिकता दी जाती है।
महामारी के बीच आर्थिक व्यवधान से लोगों की नौकरी छूटने और वेतन में कटौती होने के बाद ऋणदाताओं के लिए सावधानी स्पष्टï तौर पर नजर आ रही है। क्रेडिट ब्यूरो ने कहा कि अगस्त 2020 के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के बैंकों के लिए व्यक्तिगत ऋण की मंजूरी दर में पिछले एक वर्ष से कोई बदलाव नहीं किया गया है। दूसरी ओर ऐसा लगता है कि एनबीएफसी और फिनटेक संरक्षणात्मक हो गई हैं। ऋणदाताओं को फिलहाल विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों में सामाजिक दूरी का याल रखने वाले वितरण नेटवर्क को खड़ा करना, उपभोक्ता मांग का प्रबंधन, परिचालन कार्य दबाव को फिर से संतुलित करना, सक्रिय होकर पोर्टफोलियो पर नजर रखना और कर्मचारियों का स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है।
सिबिल ने कहा कि ऋणदाताओं को पूरी सक्रियता से अनुमान लगाना चाहिए और बाजार की बदलती परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही महामारी का संकट बढऩे पर उत्पन्न होने वाली उपभोक्ता जरूरतों के लिए तैयार रहना चाहिए।
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