किसानों को सरकार का फिर आमंत्रण | एजेंसियां / December 24, 2020 | | | | |
सरकार ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को वार्ता के लिए गुरुवार को फिर आमंत्रित किया लेकिन स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से संबंधित ऐसी किसी भी नई मांग को एजेंडे में शामिल करना तार्किक नहीं होगा जो नए कृषि कानूनों के दायरे से परे हो। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने 40 किसान नेताओं को लिखे तीन पन्नों के पत्र में कहा, 'मैं आपसे फिर आग्रह करता हूं कि प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए सरकार सभी मुद्दों पर खुले मन से और अच्छे इरादे से चर्चा करती रही है तथा ऐसा करती रहेगी। कृपया (अगले दौर की वार्ता के लिए) तारीख और समय बताएं।' सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछले पांच दौर की वार्ता का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं। अग्रवाल ने किसान संगठनों से कहा कि वे उन अन्य मुद्दों का भी ब्योरा दें जिनपर वे चर्चा करना चाहते हैं। वार्ता मंत्री स्तर पर नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में होगी। एमएसपी के मुद्दे पर अग्रवाल ने कहा कि कृषि कानूनों का इससे कोई लेना-देना नहीं है और न ही इसका कृषि उत्पादों को तय दर पर खरीदने पर कोई असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को प्रत्येक चर्चा में यह बात कही जाती रही है और यह भी स्पष्ट किया गया है कि सरकार एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने को तैयार है।
उनका पत्र संयुक्त किसान मोर्चे के 23 दिसंबर के उस पत्र के जवाब में आया है जिसमें कहा गया था कि यदि सरकार संशोधन संबंधी खारिज किए जा चुके बेकार के प्रस्तावों को दोहराने की जगह लिखित में कोई ठोस प्रस्ताव लाती है तो किसान संगठन वार्ता के लिए तैयार हैं। सरकार ने 24 दिसंबर के अपने पत्र में संकल्प व्यक्त किया था कि वह किसान संगठनों द्वारा उठाए गए मुद्दों का तार्किक समाधान खोजने के लिए तैयार है। अग्रवाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे के तहत आने वाले किसान संगठनों से सरकार खुले मन से कई दौर की वार्ता कर चुकी है। अग्रवाल ने आग्रह किया कि किसान संगठन अपनी सुविधा के हिसाब से अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख और समय बताएं। नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान लगभग एक महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं।
विपक्ष ने दिया संयुक्त ज्ञापन
प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि विपक्षी दलों पर कृषि कानूनों को लेकर झूठ बोलने का प्रधानमंत्री मोदी का आरोप निराधार है। कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, द्रमुक, राजद, सपा, माकपा, भाकपा, भाकपा (माले), फॉरवर्ड ब्लॉक,आरएसपी और कुछ अन्य दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान में प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट की। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री को निराधार आरोप लगाना बंद करना चाहिए और कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहिए।' हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि नए कृषि कानूनों में कई संशोधनों की जरूरत है और प्रदर्शन कर रहे किसान 'ठोस सुझाव' दें। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के समर्थन मेंं गुरुवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जनपदों के किसान नोएडा के महामाया फ्लाईओवर के पास पहुंचे। किसान नए कृषि कानूनों के समर्थन में दिल्ली जाकर कृषि मंत्री को धन्यवाद देना चाहते थे।
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