कर्ज देने की धारणा में सुधार | अभिजित लेले / मुंबई December 24, 2020 | | | | |
कोविड-19 से प्रभावित पहली तिमाही (वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही) के बाद कर्ज देने को लेकर बैंकरों की धारणा में व्यापार स्तर पर सुधार हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक के बैंक उधारी सर्वे (बीएलएस) से पता चलता है कि कर्ज की मांग में भी सुधार होने की उम्मीद है। प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि खुदरा व व्यक्तिगत ऋण, जो इस अवधि के दौरान बुरी तरह प्रभावित हुआ था, में अब फिर से तेजी लौटी है। अगर अन्य प्रमुख क्षेत्रों से तुलना करें तो बुनियादी ढांचा, खनन और खदान क्षेत्र को लेकर उम्मीद कम है। यह सर्वे रिजर्व बैंक की दिसंबर 2020 बुलेटिन का हिस्सा है।
कोविड-19 महामारी और इससे जुड़े लॉकडाउन की वजह से पहली तिमााही में सभी सेक्टर में कर्ज में संकुचन आयाा है, जिसकी वजह से कर्जदाताओं की धारणा कमजोर हुई थी। बहरहाल सितंबर तिमाही में कर्ज के पेशकश के मामले में तेजी से सुधार हुआ और यह सुधार व्यापक आधार वाला रहा। खुदरा/व्यक्गित ऋण की मांग में सबसे तेज रिकवरी हुई है, जबकि पहली तिमाही में इसमें सबसे तेज गिरावट आई थी। जनवरी-मार्च 2020 के दौरान बीएलएस के 11वें दौर में वरिष्ठ ऋण अधिकारियों ने कर्ज की मांग को लेकर सभी क्षेत्रों में कम उम्मीद जताई थी। उन्होंने संकुचन का अग्रिम अनुमान नहीं दिया, क्योंकि वे महामारी की तात्कालिक स्थिति को देखते हुए कुछ स्पष्ट अनुमान नहीं लगा सके थे।
उसके बाद के लगातार दो सर्वे में तिमाही आधार पर कर्ज की मांग की उम्मीदों में सुधार हुआ। प्रमुख क्षेत्रों को लेकर बैंकरों की आम धारणा थी कि खुदरा/व्यक्तिगत ऋण और कृषि क्षेत्र में तत्काल तेजी आएगी और उसके बाद विनिर्माण व सेवा क्षेत्र का स्थान रहेगा। बैंकर कर्ज की सेवा व शर्तों में अचानक तिमाही बदलाव का अनुमान नहीं लगा रहे हैं। यह सभी क्षेत्रों में कर्ज के प्रदर्शन, व्यापक आर्थिक स्थितियों और सभी क्षेत्रों में वृद्धि के अपसरों पर ज्यादा निर्भर है। कृषि एवं व्यक्तिगत ऋण क्षेत्र हमेशा सकारात्मकक्षेत्र में रहा है, जिससे इस क्षेत्र में कर्ज की बेहतर सेवा व शर्तों के संकेत मिलते हैं। बुलेटिन में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र में भी कर्ज की सेवा व शर्र्तों की धारणा सरल होने के संकेत हैं, जो लॉकडाउन के दौरान किए गए आकलन की तुलना में बेहतर है।
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