डीएचएफएल: बीमा संयुक्त उद्यम में हिस्सेदारी ओकट्री के लिए बाधा | बीएस संवाददाता / December 24, 2020 | | | | |
डीएचएफएल के बीमा संयुक्त उद्यम में एक विदेशी कंपनी की 49 फीसदी हिस्सेदारी है। वह ओकट्री के साथ-साथ लेनदारों के लिए एक बड़ी कानूनी बाधा बनती जा रही है क्योंकि अमेरिकी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी द्वारा इस अधिग्रहण से बीमा क्षेत्र के लिए निर्धारित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा का उल्लंघन होगा। ओकट्री के प्रस्ताव पर मतदान से पहले डीएचएफएल के प्रशासक को लेनदारों की समिति (सीओसी) को इस बात की पुष्टि करनी होगी कि मतदान के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले हरेक प्रस्ताव लागू करने के योग्य है और इससे कानून के किसी भी प्रावधान अथवा ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी)के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता है।
इस मामले के एक करीबी सूत्र ने कहा, 'फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यह है कि ओकट्री कितने समय में इन मंजूरियों को हासिल कर पाएंगी।' इस दिवालिया आवास वित्त कंपनी के अधिग्रहण की दौड़ में शामिल पीरामल ने इसी सप्ताह प्रशासक को लिखे एक पत्र में आईबीसी के उन प्रावधानों का उल्लेख किया जिनमें कहा गया है कि रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल यह पुष्टि करने के लिए हरेक प्रस्ताव की जांच करेगा कि कहीं वह कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन तो नहीं करता। धारा 30 (3) में कहा गया है कि रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल सीओसी के समक्ष उन्हीं प्रस्तावों को मंजूरी के लिए रखेगा जो उप-धारा (2) में वर्णित शर्तों की पुष्टि करता हो। एक कॉरपोरेट वकील ने कहा कि डीएचएफएल की बिक्री से पहले बीमा संयुक्त उद्यम में हिस्सेदारी की बिक्री होने से नियामकीय अनिश्चितता समाप्त हो जाएगी।
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