लार्जकैप योजनाओं का प्रदर्शन बेंचमार्क से कमजोर | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई December 24, 2020 | | | | |
पांच इक्विटी लार्जकैप योजनाओं में से तीन का प्रदर्शन इस कैलेंडर वर्ष में निफ्टी-100 इंडेक्स से कमजोर रहा है। मॉर्निंगस्टार इंडिया के आंकड़ों से पता चलता है कि 29 योजनाओं में से 17 का प्रदर्शन कैलेंडर वर्ष 2020 में बेंचमार्क के 11.8 फीसदी रिटर्न के मुकाबले कमजोर रहा। इसमें सिर्फ डायरेक्ट प्लान पर ही विचार किया गया। सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में निप्पॉन इंडिया लार्जकैप (1.5 फीसदी) और एचडीएफसी टॉप 100 (2.6 फीसदी) शामिल रही। चार योजनाओं ने 15 फीसदी से ज्यादा रिटर्न देने में कामयाबी हासिल की और केनरा रोबोको ब्लूचिप इक्विटी (20.2 फीसदी) और ऐक्सिस ब्लूचिप फंड (16.6 फीसदी) इस सूची में सबसे ऊपर रही।
ध्रुवीकरण और इंडेक्स में कुछ शेयरों के भारांक में इजाफे का प्रदर्शन पर असर रहा। 30 नवंबर को निफ्टी-50 के शेयरों ने इंडेक्स के भारांक में 42.6 फीसदी का योगदान किया और एचडीएफसी बैंक (11.2 फीसदी) और आरआईएल (11.2 फीसदी) का इंडेक्स के भारांक में अहम योगदान है। चार अग्रणी क्षेत्रों वित्तीय सेवा, आईटी, तेल व गैस और उपभोक्ता सामान ने इंडेक्स के भारांक में 79 फीसदी का योगदान किया। यूनियन एमएफ के सीईओ प्रदीपकुमार जी. ने कहा, बेंचमार्क सूचकांकों में कुछ शेयरों का ज्यादा भारांक नियामकीय व बुद्धिमतापूर्ण जोखिम प्रबंधन के लिहाज से अवरोधक है। लंबी अवधि में यह श्रेणी बेहतर रिटर्न अर्जित करने में सक्षम है औ्र कई फंडों ने ध्रुवीकरण के दौरान और उम्दा रिटर्न दिया।
निफ्टी-50 में तेजी आई है, जिसकी वजह डॉ. रेड्डीज, डिविज लैब, सिप्ला, इन्फोसिस, एचसीएल टेक, विप्रो और एशियन पेंट्स जैसे शेयरों का उम्दा प्रदर्शन रहा। निफ्टी-50 के 35 शेयरों ने नकारात्मक रिटर्न दिया जबकि 50 फीसदी ने बेंचमार्क के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया। बीएस रिसर्च ब्यूरो के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। लंबी अवधि के लिहाज से भी प्रदर्शन पर असर पड़ा। 3 साल व 5 साल के रिटर्न के लिहाज से भी लार्जकैप फंडों का प्रदर्शन बेंचमार्क से कमजोर रहा और औसत श्रेणी रिटर्न क्रमश: 7.5 फीसदी व 11.7 फीसदी रहा जबकि निफ्टी-100 के लिए रिटर्न 8.8 फीसदी व 12.8 फीसदी रहा।
विशेषज्ञों का मानना है कि लार्जकैप योजनाओं पर आगे और असर पड़ सकता है अगर बाजार में गिरने व चढऩे वालों का आंकड़ा नहीं सुधरता है। महामारी से उन कंपनियों के हक में मामला आ सकता है जिसकी बाजार हिस्सेदारी ज्यादा है और कारोबार बेहतर स्थिति में है। यह ध्रुवीकरण की समस्या को और बढ़ा सकता है। निवेशकों ने अब इंडेक्स फंड व एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की ओर जाना शुरू कर दिया है, जो पैसिव फंड हैं और अंतर्निहित बेंचमार्क सूचकांकों का अनुकरण करने वाला है।
|