नवंबर में खुदरा कर्ज की मांग बढ़ी | अभिजित लेले / मुंबई December 23, 2020 | | | | |
इस साल की शुरुआत में कोविड-19 महामारी के झटकों के बाद नवंबर 2020 सहित हाल के महीनों में भारत में खुदरा कर्ज की मांग तेजी से बढ़ी है। ट्रांसयूनियन सिबिल की इंडस्ट्री इनसाइट रिपोर्ट से यह जानकारी मिलती है। हालांकि प्रमुख आंकड़ों में कोविड के पहले के स्तर पर वृद्धि दर अभी नहीं पहुंच पाई है, लेकिन कर्ज की मांग धनात्मक दिशा में बढ़ रही है। नवंबर 2020 में खुदरा कर्ज की मांग नवंबर 2019 के स्तर की तुलना में 93 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह महामारी के शुरुआती महीनों के निचले स्तर की तुलना में उल्लेखनीय उच्च स्तर पर है।
ट्रांसयूनियन सिबिल के रिसर्च ऐंड कंसल्टिंग के वाइस प्रेसीडेंट अभय केलकर ने कहा, 'वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी भी महामाारी के असर से पीडि़त है। कारोबारियों व ग्राहकों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति है, वहीं हम इस साल के शुरुआती लॉकडाउन के महीनों की तुलना में कर्ज की मांग में सकारात्मक स्थिति देख रहे हैं।'
कर्ज की मांग में वृद्धि उत्साहजनक है क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि ग्राहकों का भरोसा बहाल हो रहा है और वे बड़ी खरीद को इच्छुक हैं। उधारी की श्रेणियों में पूछताछ बढ़ी है। घटी ब्याज दरों, आकर्षक भुगतान योजनाओं और डेवलपरों द्वारा छूट की पेशकश से आवास ऋण की मांग बढ़ी है। सिबिल ने कहा कि इन्क्वायरी वॉल्यूम नवंबर 2020 में पिछले साल की तुलना में 9.1 प्रतिशत ज्यादा रहा है।
इसके विपरीत व्यक्तिगत ऋण का इन्क्वायरी वॉल्यूम पिछले साल की तुलना में -43.1 प्रतिशत गिरा रहा है, क्योंकि कर्जदाताओं की जोखिम लेने की क्षमता कम हुई है। कोविड के पहले के दौर में फिनटेक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने इस क्षेत्र में शानदार वृद्धि दर्ज की थी। अब स्थिति बदल गई है और एनबीएफसी का कारोबार नवंबर 2020 में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 68.7 प्रतिशत कम हुआ है क्योंकि उन्होंने ज्यादा जोखिम वाले उधारी लेने वालों को कर्ज देने से हाथ खींच लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक फिनटेक का इन्क्वायरी वॉल्यूम भी पिछले साल की समान अवधि की तुलना मेंं 10.2 प्रतिशत कम हुआ है।
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