सेबी के नए मानकों को लेकर म्युचुअल फंड उद्योग चिंतित | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई December 23, 2020 | | | | |
कारोबार क्रियान्वयन के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नए मानक म्युचुअल फंड उद्योग के लिए समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
अक्टूबर के अंत में अधिसूचित हुए नियमों में निजता से संबंधित चिंताओं पर ध्यान दिया गया और इससे फंड प्रबंधकों के लिए लंबे कामकाजी घंटे की स्थिति को बढ़ावा मिल सकता है। कारोबार क्रियान्वयन और आवंटन से संबंधित इसी तरह के दिशा-निर्देश 21 सितंबर को जारी किए गए थे और उन्हें 1 जनवरी से लागू किया गया।
अधिसूचना में कहा गया है कि बाजार घंटों के दौरान डीलरों के साथ साथ फंड प्रबंधकों से सभी संवाद रिकॉर्डेड मोड में होना चाहिए।
मौजूदा समय में, बाजार घंटों के दौरान सभी डीलरों की बातचीत रिकॉर्ड होती है, क्योंकि वे मोबाइल फोन के बगैर डीलिंग रूम्स से परिचालन करते हैं। इसी तरह, लैंडलाइन पर फंड प्रबंधकों के वार्तालाप भी रिकॉर्ड होते हैं।
नए मानकों के तहत फंड हाउसों को फंड प्रबंधकों की मोबाइल बातचीत के साथ साथ व्यावसायिक भागीदारों, ब्रोकरों, वितरकों, विश्लेषकों और कंपनी अधिकारियों के साथ उनकी ऑफलाइन बातचीत को भी रिकॉर्ड करने की जरूरत होगी। चूंकि ऐसी बातचीत अक्सर गोपनीय होती है, इसलिए यह बाजार बंद होने के बाद की जा सकती है, जिससे फंड प्रबंधकों के लिए कामकाजी घंटे बढ़ जाएंगे। इसके परिणामस्वरूप, फंड प्रबंधकों को बाजार घंटों के दौरान जरूरी जानकारी भी गंवानी पड़ सकती है जिससे वैकल्पिक निवेश फंडों, बीमा कंपनियों या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों जैसे अन्य संस्थागत निवेशकों के संबंध में जानकारी में अंतर पैदा हो सकता है।
एक वरिष्ठ फंड अधिकारी ने कहा, 'फंड प्रबंधक सामान्य तौर पर बाजार घंटे के दौरान सक्रिय रहता है। वह मीटिंग रूम में कंपनी अधिकारी के साथ बातचीत में व्यस्त हो सकता है या सेल कॉल या वितरकों के साथ बैठक में शामिल हो सकता है। क्या इन वार्तालापों को रिकॉर्डिड किया जाना चाहिए? वह बाजार घंटों के दौरान अपनी पत्नी या परिवार से बात कर रहा हो सकता है। क्या ऐसी निजी बातचीत की रिकॉर्डिंग निजता का उल्लंघन नहीं होगी?' उन्होंने कहा कि फंड हाउसों को भविष्य में सभी मोबाइल बातचीत को रिकॉर्ड तथा स्टोर करने के लिए उचित टेक्नोलॉजी सॉल्युशन तलाशने होंगे।
नए मानकों में फंड प्रबंधकों के लिए प्रतिभूतियों की खरीद या बिक्री के लिए निर्णयों को लिखित में रिकॉर्ड करने की भी जरूरत है।
बाजार कारोबारियों का कहना है कि बाजार घंटों के दौरान सभी खरीद-बिक्री निर्णयों के लिए विस्तार से रिपोर्ट तैयार करना संभव नहीं है, और बड़े फंड हाउसों के लिए यह और ज्यादा कठिन है, क्योंकि वे हर दिन सैकड़ों सौदे क्रियान्वित करते हैं।
एक फंड हाउस के मुख्य अधिकारी ने कहा, 'फंड प्रबंधक उस स्थिति में एक बार विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं जब कारोबार की मात्रा ऊंची हो, या खरीद-बिक्री के निर्णय को टकरावपूर्ण माना जा रहा हो। लेकिन हरेक लेनदेन के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना व्यावहारिक नहीं है।'
भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन एम्फी ने नियामक को लिखे पत्र में इस नियम के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं का जिक्र किया है। वह चाहता है कि सभी संवाद की रिकॉर्डिंग सिर्फ ऑर्डर प्लेसमेंट और एक्जीक्यूशन के समय लागू होनी चाहिए। उसने इस नियम का क्रियान्वयन को टाले जाने की भी मांग की है।
नियामक के सितंबर सर्कुलर के अनुसार, परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों को ऑटोमेटेड ऑर्डर मैनेजमेंट सिस्टम का इस्तेमाल करने की जरूरत है, जिसमें इक्विटी और इक्विटी-संबंधित योजनाओं पर ऑर्डर संबद्घ योजनाओं के फंड प्रबंधकों द्वारा प्लेस किए जाते हैं।
हालांकि एम्फी के अनुसार, पैसिव और आर्बीट्राज योजनाओं के सौदों को इस शर्त से छूट मिलनी चाहिए। एम्फी यह भी चाहता है कि पैसिव फंडों को उन शर्त से छूट दी जाए जिसमें फंड प्रबंधकों के सभी ऑर्डरों ऑर्डर प्लेसमेंट और एक्जीक्यूशन के लिए जिम्मेदार डीलरों द्वारा प्राप्त होते हैं।
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