दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को वैधानिक प्राधिकारियों को लिखकर जेफ बेजोस की अगुवाई वाली एमेजॉन को किशोर बियाणी की अगुवाई वाली फ्यूचर रिटेल के रिलायंस रिटेल के साथ होने वाले सौदे में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए मना कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की एकल जज बेंच ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड द्वारा दायर मामले में सुनाया। लॉ मंच बार ऐंड बेंच पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) के एक इमरजेंसी आर्बिट्रेटर ने फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस रिटेल के साथ लेन-देन के मामले में कोई कदम उठाने से रोक देने के बाद फ्यूचर रिटेल ने याचिका दायर की थी। इस मामले पर अध्ययन के बाद तकनीकी-कानूनी फर्म टेकलीगस एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर में पार्टनर सलमान वारिस ने कहा, 'हालांकि, अदालत ने एक तटस्थ अवलोकन पारित किया जिससे फ्यूचर रिटेल लिमिटेड और एमेजॉन दोनों ओर संतुलन बना रहे। अदालत ने यह भी माना कि वैधानिक प्राधिकरण अपनी राय बनाने के लिए स्वतंत्र थे।' उन्होंने कहा, 'अदालत के अनुसार, एमेजॉन के मामले को फ्यूचर रिटेल पर वरीयता देना केवल 'परीक्षण का विषय था' और अब वैधानिक प्राधिकारियों या नियामकों को अपने सही निष्कर्ष पर आना था।' अगस्त माह में, खुदरा समूह फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के साथ 3.4 अरब डॉलर की संपत्ति की बिक्री का सौदा किया। उस समय एमेजॉन ने फ्यूचर को एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें आरोप लगाया गया कि इस समझौते से कंपनी के साथ किया गया समझौता टूटा है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पिछले साल एमेजॉन ने 1,430 करोड़ रुपये में फ्यूचर की गैर-सूचीबद्ध फर्मों फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। सौदे की शर्तों के अनुसार विवादों को एसआईएसी नियमों के तहत मध्यस्थ किया जाना था और एमेजॉन के पक्ष में फैसला आया। इसके बाद, फ्यूचर रिटेल ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और एसआईएसी द्वारा रिलायंस के साथ उसके सौदे के संबंध में पारित मध्यस्थता आदेश के खिलाफ राहत की मांग की। बार ऐंड बेंच के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि फ्यूचर रिटेल द्वारा दायर मुकदमा जारी रखने योग्य था, अपातकालीन प्रबंध वैध थे और रिलायंस के साथ लेन-देन को मंजूरी देने वाला फ्यूचर रिटेल का प्रस्ताव भी मान्य था। टेकलेगि के वारिस ने एमेजॉन के लिए कहा, अदालत ने कहा कि सरकार के अनुमोदन के बिना विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों के तहत 3 समझौतों के टकराव की स्थिति में 'नियंत्रण' की अनुमति नहीं है। इस प्रकार, प्रथम दृष्टया एमेजॉन की याचिका शून्य है। हालांकि, वारिस ने कहा कि एफआरएल द्वारा समझौते के उल्लंघन के कारण एमेजॉन के पक्ष में एक मजबूत मामला बन जाएगा क्योंकि उसकी फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड में हिस्सेदारी है, जो कि एफआरएल में 9.82 प्रतिशत शेयरधारक है। बार ऐंड बेंच के अनुसार, एफआरएल ने उच्च न्यायालय के समक्ष आपातकालीन प्रबंध को चुनौती दिए बिना आवेदन किया कि एमेजॉन को प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) जैसे वैधानिक निकायों को सौदे के संबंध में लिखने से रोका जाए। इसके अलावा, एफआरएल ने दावा किया था कि आपातकालीन प्रबंध भारतीय क्षेत्राधिकार के लिए नहीं थे। इससे पहले फ्यूचर रिटेल के प्रतिनिधि ने मध्यस्थता पैनल को बताया था कि यदि रिलायंस रिटेल के साथ सौदा विफल हो जाता है, तो कंपनी लिक्विडेशन में चली जाएगी। कंपनी के बंद होने से 29,000 से अधिक नौकरियों का नुकसान होगा। साथ ही, कंपनी को पहले तीन से चार महीनों में ही राजस्व में 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
