कोविड के डर से बाजार धड़ाम | सुंदर सेतुरामन / तिरुवनंतपुरम December 21, 2020 | | | | |
ब्रिटेन में कोरोनावायरस के नए स्वरूप का तेजी से प्रसार होने और वहां यात्राओं पर पाबंदी लगाए जाने से पूरे यूरोप में निवेशकों ने घबराहट से भारी बिकवाली की। इसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा और बेंचमार्क सेंसेक्स 1,407 अंक लुढ़क कर 45,554 पर आ गया। अप्रैल 2020 के बाद सेंसेक्स में एक दिन में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी भी 432 अंक के नुकसान के साथ 13,328 पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों ने चेताया है कि वायरस का नया रूप 70 फीसदी ज्यादा संक्रामक है। संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए ब्रिटेन की सरकार को लंदन में लॉकडाउन की घोषणा करनी पड़ी, जिससे 1.6 करोड़ लोगों को घरों में ही रहना होगा। इसके साथ ही कई देशों और ब्रिटेन की यात्रा पर रोक लगा दी है।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी ने कहा, 'पिछले कुछ हफ्तों से बाजार में तेजी बनी हुई थी और निवेशक मुनाफावसूली का बहाना तलाश रहे थे। कई ऐसे शेयर हैं जिनका बुनियाद मजबूत नहीं है लेकिन उनके शेयरों में काफी तेजी आई थी। ब्रिटेन में कोरोना की नई लहर ने निवेशकों को मुनाफावसूली करने का मौका दे दिया।'
विश्लेषकों ने कहा कि ब्रिटेन में वायरस का नया रूप सामने आने से निवेशकों में घबराहट बढ़ गई है जबकि अब तक वे टीका आने की उम्मीद कर रहे थे। उन्होंने चिंता जताई कि निकट भविष्य में वायरस का संक्रमण बेकाबू हो सकता है।
अवेंडस अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, 'वायरस के नए संक्रमण से निवेशकों में चिंता बढ़ गई है कि छुट्टियों के मौसम में कहीं दुनिया भर में नए सिरे से लॉकडाउन न शुरू हो जाए।'
सुरक्षित निवेश माने जाने वाले ट्रेजरी और सोना में निवेश बढ़ा है, जिससे उसमें तेजी आई है।
भारतीय शेयरों का मूल्यांकन ज्यादा होने से भी निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं। नोमुरा ने निवेशकों को लिखे नोट में कहा है कि शेयर बाजार की आय में वृद्घि को लेकर ज्यादा उम्मीदें हैं और बाजार का मूल्यांकन उच्चतम स्तर पर है जबकि वृद्घि में सुधार की रफ्तार पर्याप्त नहीं है।
नोमुरा में इंडिया इक्विटी रिसर्च के प्रमुख सायन मुखर्जी ने कहा, 'चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद में संकुचन के संभावित प्रभाव को बाजार नजरअंदाज कर रहा था। तरलता की स्थिति अनुकूल होने के बावजूद उधारी वृद्घि में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है।'
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के दम पर बेंचमार्क सूचकांक मार्च के अपने निचले स्तर पर 80 फीसदी से ज्यादा चढ़ चुके हैं। पिछले एक महीने के दौरान टीके को लेकर सकारात्मक खबरों से भी बाजार में तेजी आई थी।
वेलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक ज्योतिवद्र्घन जयपुरिया ने कहा कि बाजार का मूल्यांकन काफी ज्यादा है और अगले कुछ वर्षों में रिटर्न आय में वृद्घि से आएगी। उन्होंने कहा, 'निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि अगले साल सब कुछ सामान्य हो जाएगा। अगर आय में वृद्घि तेज होती है तो बाजार का रिटर्न उच्च एक अंक में रह सकता है।'
विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका में बाइडेन सरकार द्वारा कर में वृद्घि और प्रोत्साहन के साथ टीकाकरण अभियान की सुगमता से बाजार की चाल आगे निर्भर करेगी।
जयपुरिया ने कहा कि डॉलर के कारण भारत जैसे उभरते बाजारों के प्रदर्शन पर असर पड़ा है। अगर डॉलर नरम होता है तो भारत के लिए अच्छा है।
बीएसई पर 466 शेयर निचले सर्किट पर बंद हुए। कुल 2,472 शेयर गिरावट पर बंद हुए और 564 शेयर ही बढ़त बना सके। सेंसेक्स के सभी घटकों में गिरावट दर्ज की गई। ओएनजीसी में सबसे ज्यादा 9.15 फीसदी की गिरावट आई। इंडसइंड बैंक, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और एसबीआई में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई। बुनियादी ढांचा क्षेत्र और धातु क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई।
विश्लेषकों ने कहा कि धातुओं की कीमतों में नरमी से इस क्षेत्र में गिरावट आई है।
निवेशकों को 6.59 लाख करोड़ रुपये की चपत
ब्रिटेन में कोविड-19 वायरस की नई किस्म की खबरों के बाद सोमवार को वैश्विक बाजारों में बिकवाली के सिलसिले ने जोर पकड़ा। इसके प्रभाव से घरेलू बाजार में भी जबरदस्त गिरावट आई। इससे निवेशकों की करीब 6.59 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डूब गई। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,406.73 अंक या 3 प्रतिशत के नुकसान से 45,553.96 अंक पर आ गया। शेयर बाजार में चौतरफा बिकवाली से बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) 6,59,313.65 करोड़ रुपये घटकर 1,78,79,323 करोड़ रुपये रह गया।
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