आरआईएल के शेयर में कमजोरी के आसार | राम प्रसाद साहू और अमृता पिल्लई / मुंबई December 20, 2020 | | | | |
भले ही प्रमुख सूचकांक अपनी सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गए हैं, लेकिन बाजार पूंजीकरण के लिहाज से भारत की सबसे बड़ी सूचीबद्घ कंपनी को सफलता के चार्ट पर वापसी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर पिछले तीन महीनों के दौरान करीब 13.6 प्रतिशत कमजोर हुआ है, भले ही इस अवधि में सेंसेक्स 20.9 प्रतिशत मजबूत हुआ। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों ने 9 दिसंबर की अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि शेयर पिछले तीन महीनों के दौरान निफ्टी के मुकाबले 31 प्रतिशत तक कमजोर रहा, जो 13 वर्षों में उसका तीन महीने का सबसे खराब प्रदर्शन है। विश्लेषकों के अनुसार, इस खराब प्रदर्शन का कारण ताजा सकारात्मक बदलावों का अभाव है। विलियम ओ नील में इक्विटी रिसर्च के प्रमुख मयूरेश जोशी का कहना है कि मुद्रीकरण, कर्ज घटाने और दो मजबूत वृद्घि वाले व्यवसायों रिटेल तथा डिजिटल के मूल्यांकन के संदर्भ में शेयर के लिए सकारात्मक बदलावों का कीमतों पर असर पहले ही दिख चुका है। उनका कहना है कि जहां डिजिटल और रिटेल परिसंपत्तियों की सूचीबद्घता समेत प्रमुख सेगमेंटों में अच्छी संभावनाएं हैं, वहीं मध्यावधि में इनमें बदलाव देखा जा सकता है।
कुछ तेजी तेल-से लेकर रसायन (ओ2सी) वर्टिकल से आ सकती है, जिसका 2020-21 की पहली छमाही के परिचालन लाभ में 40 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान रहा है। कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के तरुण लखोटिया और हेमांग खन्ना का मानना है कि कंपनी को हाल के महीनों में प्रमुख पेट्रो रसायन उत्पादों के लिए एशियाई मार्जिन में अच्छी रिकवरी का लाभ मिलेगा। वर्ष 2019 की चौथी तिमाही में यह यह मार्जिन निचले स्तर पर पहुंच गया था।
आपूर्ति संबंधित किल्लत और पैकेजिंग, उपभोक्ता तथा हेल्थकेयर जैसे प्रमुख उपभोक्ता क्षेत्रों से मांग सुधरने से पॉलिथिलीन, पॉलिप्रोपलिन, और नेफ्था के मुकाबले पीवीसी के लिए मांग में इजाफा हुआ है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि यह तेजी सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) में कमजोरी की भरपाई करने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है और पूरी तरह से सुधार अभी काफी दूर है। जेपी मॉर्गन की एक दिसंबर की रिपोर्ट के अनुसार, 'महामारी की गंभीरता, और सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए, रिफाइनिंग मार्जिन में रिकवरी धीमी रह सकती है ओर बेहद महत्वपूर्ण बात यह है कि आय को वित्त वर्ष 2020 के स्तरों पर लौटने में दो-तीन साल लग सकते हैं।' रिफाइनिंग और पेटकेम सेगमेंट कोविड की वजह से प्रभावित हुए थे और सितंबर तिमाही 2020 के लिए इनमें सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) 5.7 बैरल प्रति डॉलर पर रहा जो एक साल पहले की तिमाही के मुकाबले 39 प्रतिशत कम है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए, आरआईएल का जीआरएम मामूली सुधरकर 7 डॉलर प्रति बैरल पर रहने का अनुमान है।
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों का कहना है कि कर्ज में कमी के बाद, रिफाइनिंग मार्जिन में रिकवरी और पेट्रो रसायन में सकारात्मक बदलाव अब तक आय डाउनग्रेड चक्र को बदलने के लिए जरूरी होंगे। ऐंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के नितिन तिवारी का कहना है कि ब्लॉक केजी डी6 में आर क्लस्टर अल्ट्रा-डीपवाटर गैस क्षेत्र से उत्पादन शुरू करने की कंपनी की ताजा घोषणा का असर शेयर कीमत पर पहले ही दिख चुका है और कुल मूल्यांकन में आरआईएल की उद्यम वैल्यू के संदर्भ में अपस्ट्रीम परिसंपत्तियों का महज 3 प्रतिशत योगदान है। ओ2सी व्यवसाय में सऊदी अरामको के लिए हिस्सेदारी बिक्री में हो रही प्रगति हालांकि एक प्रमुख बदलाव होगा।
डिजिटल सेगमेंट के लिए, तेजी ग्राहक वृद्घि और कीमत वृद्घि से जुड़ी हो सकती है।
जहां भारती एयरटेल ने कुल ग्राहकों (ब्रॉडबैंड समेत) की अच्छी भागीदारी हासिल की है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि वोडाफोन आइडिया के लिए ग्राहक रुझान में बदलाव से रिलायंस जियो को लाभ बरकरार रहेगा। उपभोक्ता आधार में वृद्घि को जियोफोन और जियो फाइबर जैसी पेशकशों से मदद मिल सकती है। हालांकि कीमत वृद्घि को दलाल पथ द्वारा कर्ज घटाने की कोशिश (34 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये की कोष उगाही) के बाद एक प्रमुख बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। आकार और लागत दक्षता को देखते हुए, कीमत वृद्घि का प्रत्यक्ष रूप से परिचालन लाभ के साथ साथ आय पर असर दिखेगा, क्योंकि ब्याज लागत न्यूनतम स्तरों पर बनी हुई है। कीमत वृद्घि से जियो के प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व (एआरपीयू) को मदद मिल सकती है, जो 145 रुपये पर भारती एयरटेल के एआरपीयू के मुकाबले 10.4 प्रतिशत कम है।
रिटेल मोर्चे पर, जहां कंपनी ने करीब 47,265 करोड़ रुपये के लिए 10.09 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के बाद कोष उगाही बंद करने का संकेत दिया है, वहीं ऊंचे मूल्यांकन पर किसी तरह की बिक्री से बड़ा बदलाव आ सकता है। फ्यूचर रिटेल सौदा पूरा होने, जियोमार्ट का दायरा बढऩे, और बाजार भागीदारी वृद्घि इस वर्टिकल के लिए मुख्य सकारात्मक बदलाव हैं।
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