'बढ़ते एनपीए के लिए बनाएं कई दबावग्रस्त बैंक' | निकुंज ओहरी / नई दिल्ली December 20, 2020 | | | | |
उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बढ़ते दबावग्रस्त ऋणों के बुरे प्रभाव के समाधान के लिए देश में कई सारे दबावग्रस्त बैंक बनाने पर विचार होना चाहिए। इस साल महामारी के दौरान दबावग्रस्त ऋणों में और अधिक इजाफा हुआ है।
वित्त मंत्री को बजट पूर्व दिए गए सुझाव में सीआईआई ने कहा कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए दबावग्रस्त संपत्तियों के समाधान के लिए बाजार से निर्धारित मूल्य खोज तंत्र बनाना महत्त्वपूर्ण है। सीआईआई के अध्यक्ष उदय कोटक ने कहा, 'वैश्विक और घरेलू दोनों स्तर पर बड़ी मात्रा में तरलता होने से विभिन्न दबावग्रस्त बैंक इस मुद्दे का समाधान पारदर्शी तरीके से कर सकते हैं और ऋण चक्र दोबारा से क्रियाशील हो जाएगा।' फिलहाल एनपीए को परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एआरसी) को बेचा जाता है और चूंकि एआरसी के पास सीमित पूंजी है ऐसे में संदेहास्पद ऋणों की बिक्री प्रतिभूति प्राप्तियों के जरिये की जाती है। प्रतिभूति प्राप्तियों के जारी होने का परिणाम यह होता है कि बैंक केवल वसूली पर ही भुगतान प्राप्त करते हैं।
कम वसूली दरें और प्रतिभूति प्राप्तियों के माध्यम से बिक्री बैंकों के लिए अनाकर्षक हैं। औद्योगिक संगठन ने कहा कि एक मजबूत बाजार आधारित तंत्र सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को गहन जांच के भय के बिना अपने दबावग्रस्त ऋणों को बेचने के लिए प्रोत्साहित करेगा। सीआईआई ने सरकार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और वैकल्पिक निवेश फंडों को भी एनपीए की खरीद करने की अनुमति देने पर विचार करने का अनुरोध किया है।
संगठन ने सुझाव दिया है कि सेबी से विनियमित वैकल्पिक निवेश फंडों को दबावग्रस्त ऋण खरीदने की अनुमति दी जा सकती है।
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