मंदिर की नींव में आईआईटी वैज्ञानिक करेंगे मदद | |
सिद्धार्थ कलहंस / 12 18, 2020 | | | | |
अयोध्या में राम जन्म भूमि पर बन रहे मंदिर की नींव की मजबूती के लिए आईआईटी के वैज्ञानिकों की मदद ली जा रही है। तीन मंजिला बन रहे मंदिर की लंबाई 360 फुट होगी और इसके चारों ओर पांच एकड़ में सुरक्षा दीवार बनेगी।
राम मंदिर निर्माण के संबंध में जानकारी देते हुए विश्व हिंदू परिषद और राम जन्म भूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि पूरे मंदिर का निर्माण पत्थर से होगा। मंदिर निर्माण में चार लाख घन फुट पत्थर लगेगा। राम मंदिर के लिए सन 2006 से पत्थर रखे हैं, उनको फिर से नाप रहे हैं और पत्थरों की सफाई का काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि मंदिर जनता के सहयोग से बनेगा। हालांकि हम दान नहीं मांग रहे बल्कि अपनी इच्छा से लोग स्वैच्छिक दान दे सकते हैं। राय ने कहा मंदिर के लिए विहिप और ट्रस्ट 55 से 60 करोड़ लोगों तक पहुंचेगे, यानी 12 करोड़ परिवारों तक जाएंगे और उनसे दान करने को कहेंगे। इसके लिए 10 ,100, 1000 रुपये के कूपन छपवाए गए हैं और 3 से 4 लाख कार्यकर्ता जन संपर्क का काम करेंगे। हर कूपन पर मंदिर का चित्र बना है। चंपत राय ने बताया कि हर जिले से आने वाले पैसे का स्वतंत्र ऑडिट होगा। राय ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 11 लाख रुपये अपने खाते से दिए हैं। ट्रस्ट महासचिव ने कहा कि मंदिर के निर्माण का काम लार्सन ऐंड टुब्रो (एल ऐंड टी) कर रही है और इसमें टाटा समूह की भी मदद ली गई है। उन्होंने बताया कि आईआईटी दिल्ली, बंबई और मद्रास सहित कई जगहों के वैज्ञानिकों की टेक्निकल टीम मंदिर के फाउंडेशन के बारे में अध्ययन कर रही है। उनका कहना है कि मंदिर के नीचे 60 फुट तक तूज सैंड है इसलिए खास तौर पर मजबूत नींव बनाने पर काम हो रहा है।
चंपत राय ने लखनऊ में बताया कि मंदिर की लंबाई 360 फुट, चौड़ाई 235 फुट होगी और यह तीन मंजिला होगा। इसके हर 20 फुट का एक मंजिल होगा जबकि 16.50 फुट फस्र्ट प्लिंथ की लंबाई है और 161 फुट भूतल से शिखर तक ऊंचाई है। उन्होंने कहा कि अब तक 75 हजार घन फुट पत्थर की नक्काशी पूरी कर ली गई है। राय ने कहा कि पहले हमने इसे बहुत छोटा सोचा था पर जब सर्वोच्च न्यायालय ने 70 एकड़ जमीन दे दी तो हमने इसका आकार बढ़ा दिया है। जहां मंदिर बनना है वहा सरयू का किनारा है। मंदिर के गर्भ गृह के पश्चिम में नदी का प्रवाह है। उन्होंने बताया कि इसरो ने जो मानचित्र दिया उससे यह पता चलता है कि पहले यहां मंदिर था। पहले भी यहां सरयू थी, आगे भी धारा बदल सकती है।
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