महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के फैसले पर भाजपा की आलोचना झेल रही उद्धव सरकार ने अब उसी की भाषा में जवाब देना शुरु किया। शिवसेना ने भाजपा को निशाने पर लेते हुए केंद्र सरकार के संसद का शीतकालीन सत्र टालने के फैसले की निंदा की है, तो राज्य की सत्ता में भागीदार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने किसानों की चिंता का निराकरण करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों के पक्ष में खड़ी शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने केन्द्र सरकार को निशाने में लेते हुए महाराष्ट्र राज्य ईकाई के भाजपा नेताओं पर हमला बोलते हुए सुविधानुसार लोकतंत्र की बात करने वाले नेता करार दिया है। शिवसेना ने केंद्र सरकार के संसद का शीतकालीन सत्र टालने के फैसले की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसान प्रदर्शन, देश की आर्थिक स्थिति और चीन के साथ सीमा पर गतिरोध जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से बचना चाहती है। सत्र इसलिए रद्द किया गया ताकि विपक्ष को इन मुद्दों पर सवाल करने का मौका ही न मिले। शिवसेना ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह कैसा लोकतंत्र है। देश तभी जिंदा रह सकता है, जब लोकतंत्र में विपक्षी दलों की आवाजें बुलंद हों। संसद की यह लोकतांत्रिक परम्परा देश को प्रेरणा देती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस परम्परा का पालन करना चाहिए।
महाराष्ट्र में शीतकालीन सत्र को कोविड-19 के मद्देनजर छोटा कर दो दिन का करने के फैसले की भाजपा की राज्य इकाई द्वारा आलोचना पर उसने कहा कि भाजपा का लोकतंत्र पर रुख अपनी सहूलियत के हिसाब से बदल जाता है । केन्द्रीय संसदीय कार्यवाही मंत्री प्रहलाद जोशी का कहना है कि उन्होंने सभी पार्टियों से शीतकालीन सत्र ना कराने को लेकर बातचीत की है। उसने पूछा कि कब और कहां यह चर्चा हुई? सामना के संपादकीय में कहा गया कि कोविड-19 का हवाला देकर संसद का सत्र रद्द करना शर्मनाक है, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद हाल ही में सम्पन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में रैलियों को संबोधित कर रहे थे। सभी लोग अपने काम पर जा रहे हैं लेकिन देश को चलाने वालों ने ही कोविड-19 के डर का हवाला देकर संसद पर ताला लगा दिया है।
राकांपा ने आंदोलनरत किसानों की चिंता का निराकरण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। राकांपा के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि दिल्ली के आसपास 22 दिन से हजारों की संख्या में किसान उन कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं जिन्हें मोदी सरकार ने जल्दबाजी में संसद से पारित करा दिया। उन्होंने कहा कि राकांपा की मांग है कि प्रधानमंत्री संसद का एक विशेष सत्र बुलाएं जहां किसानों की चिंताओं को सुना जाए। तपसे ने कहा कि कुछ किसानों ने कानून वापस लेने के मुद्दे पर अपनी जान तक दे दी है और ऐसा लगता है कि केंद्र में भाजपा की सरकार में प्रदर्शनकारियों के प्रति संवेदना नहीं है। राकांपा नेता ने कहा कि इसलिए अब इस मुद्दे को संसद में सुलझाना चाहिए।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण इस साल संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा और इसके मद्देनजर अगले साल जनवरी में बजट सत्र की बैठक आहूत करना उपयुक्त रहेगा।