केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि टोल संग्रह के लिए जीपीएस (ग्लोबल पोजिशिनिंग सिस्टम) आधारित तकनीक के इस्तेमाल से अगले पांच वर्षों में सरकारी खजाने में 1.34 लाख करोड़ रुपये की आमदनी होगी। केंद सरकार ने देश भर में वाहनों की बाधा रहित आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए जीपीएस तकनीक आधारित टोल संग्रह को अंतिम रूप दे दिया है। उन्होंने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत अगले दो वर्ष में टोल मुक्त हो जाए। एक औद्योगिक कार्यक्रम में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि वाहन की गतिविधि के आधार पर टोल की राशि सीधे बैंक खाते से कट जाएगी। वैसे तो अब सभी वाणिज्यिक वाहन उसकी स्थिति को बताने वाली प्रणाली से युक्त होकर आ रहे हैं, सरकार पुराने वाहनों में जीपीएस तकनीक लगाने की योजना लाएगी। उन्होंने कहा कि मार्च 2021 में टोल संग्रह 34,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा और टोल संग्रह के लिए जीपीएस तकनीक के इस्तेमाल से आगामी पांच वर्ष में यह 1.34 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। तकनीक के इस्तेमाल से वसूली के संग्रह में चूक नहीं होगी और पैसे का अंतरण पारदर्शी तरीके से हो सकेगा। प्लाजाओं पर अबाधित रूप से टोल संग्रह के लिए सरकार ने आरएफआईडी (रेडियो आवृति पहचान) टैग की शुरुआत की है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से दिए गए आधिकारिक बयान के मुताबिक नवंबर तक के कुल टोल संग्रह में आरएफआईडी युक्त फास्टैग का योगदान करीब तीन चौथाई है। रोजाना का संग्रह 92 करोड़ रुपये हो गया है जो एक वर्ष पहले 70 करोड़ रुपये था। सरकार ने एनएचएआई के सभी टोल प्लाजाओं पर 15 दिसंबर, 2019 से फास्टैग आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह तंत्र की शुरुआत की थी। सरकार ने टोल प्लाजा के कम से कम 75 फीसदी लेनों पर फास्टैग के इस्तेमाल की सिफारिश की है व नकद भुगतान को 25 फीसदी लेन तक सीमित किया है।
