अग्रिम कंपनी कर संग्रह 49 फीसदी बढ़ा | |
दिलाशा सेठ / नई दिल्ली 12 17, 2020 | | | | |
देश में प्रत्यक्ष कर संग्रह में खासी उछाल आई है। इस वर्ष अक्टूबर-दिसंबर अवधि में कंपनियों द्वारा जमा अग्रिम कर में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 50 प्रतिशत तक अधिक तेजी आई है। हालांकि पिछले वर्ष आधार कम रहने की वजह से इतनी तेजी दिखी है, लेकिन यह इस बात का संकेत जरूर दे रहा है कि अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार आने के बीच कंपनियां अपनी कमाई को लेकर अब उत्साहित दिख रही हैं। जुलाई-सितंबर में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहने के बाद अब तीसरी तिमाही के आंकड़े भी मजबूत रहने की संभावनाएं हैं।
कुल मिाकर तीसरी तिमाही में निगमित एवं व्यक्तिगत आय कर सहित कुल कर अग्रिम कर संग्रह 33 प्रतिशत की तेजी के साथ 1.41 लाख करोड़ रुपये हो गया। अप्रैल -दिसंबर अवधि में अग्रिम कर संग्रह सलाना आधार पर 6 प्रतिशत की कमी के साथ 2.99 लाख करोड़ रुपये रहा। इससे पहले सितंबर में दूसरी किस्त के बाद यह 25 प्रतिशत कम रहा था।
अग्रिम कर संग्रह के मजबूत आंकड़ों से 16 दिसंबर तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी सिकुड़ कर 13 प्रतिशत रह गई। 1 दिसंबर को इसमें 25 प्रतिशत कमी दर्ज हुई थी। रीफंड के भुगतान के बाद प्रत्यक्ष कर संग्रह 5.89 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 6.75 लाख करोड़ रुपये रहा था। हालांकि यह संग्रह वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कुल अनुमानित संग्रह 13.19 लाख करोड़ रुपये का मात्र 45 प्रतिशत है। सकल संग्रह 12 प्रतिशत कम होकर 7.34 लाख करोड़ रुपये और रीफंड भी 16 दिसंबर तक 9 प्रतिशत घटकर 1.45 लाख करोड़ रुपये रह गया।
कंपनियां अपने अर्जित लाभ पर वित्त वर्ष में चार किस्तों में अग्रिम कर का भुगतान करती हैं। अग्रिम कर संग्रह के आंकड़े देश के आर्थिक मिजाज का संकेत देते हैं। तीसरी तिमाही में कंपनी कर संग्रह 1.1 लाख करोड़ रुपये रहा। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 73,000 करोड़ रुपये रहा था। इस तरह, तीसरी तिमाही में इसमें करीब 50 प्रतिशत तेजी आई है। व्यक्तिगत आय कर अग्रिम संग्रह अक्टूबर-दिसंबर अवधि में 6 प्रतिशत कमी के साथ 31,000 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 33,000 करोड़ रुपये रहा था।
अग्रिम कर संग्रह के आंकड़ों पर एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'कंपनियों के अग्रिम कर भुगतान में तेजी की मुख्य वजह कम आधार प्रभाव रहा है। पिछले वर्ष सितंबर में कंपनी कर में कटौती के कारण यह स्थिति बनी थी। हालांकि यह आर्थिक गतिविधियों और रोजगार सृजन में सुधार आने का संकेत जरूर है।'
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