निजी फर्म बनने के लिए मंजूरी ले टाटा संस | देव चटर्जी / मुंबई December 16, 2020 | | | | |
मिस्त्री परिवार ने आज सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि कंपनी अधिनियम 2013 के तहत निजी कंपनी में तब्दील होने के लिए टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस को निश्चित तौर पर नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में आवेदन करना चाहिए। मिस्त्री परिवार के वकील सीए सुंदरम ने कहा, कंपनी अधिनियम 2013 प्रभावी होने के बाद अगर कोई सार्वजनिक कंपनी, निजी कंपनी में तब्दील होना चाहती है तो उसे इसके लिए एनसीएलटी में निश्चित तौर पर आवेदन करना होगा। चूंकि टाटा संस डीम्ड पब्लिक कंपनी बन गई थी तो उसे दोबारा परिवर्तित होने के लिए प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा, इस तरह का परिवर्तन रातोंरात करने के लिए कंपनी अधिनियम में कोई प्रावधान नही है। अनुच्छेद 121 की व्याख्या इस तरह से की गई कि यह कंपनी अधिनियम की सीमा के बाहर चली गई। जब एनसीएलटी में स्थगन की याचिका दी गई तो नाम से पहले प्राइवेट लगाया गया।
साल 2000 में टाटा संस का आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन दोबारा लिखा गया और शेयरधारकों से विशेष प्रस्ताव के जरिए इसकी मंजूरी ली गई। टाटा ट्रस्ट के कुछ विशेष अधिकार इसमें समाहित किए गए जिसमें एक तिहाई निदेशकों को नामांकित करना शामिल है और नामांकित निदेशकों के पास सकारात्मक वोटिंग का अधिकार है।
सर्वोच्च न्यायालय में दी गई याचिका में मिस्त्री परिवार ने टाटा संस के निजी कंपनी बनने का विरोध किया है क्योंकि यह उनकी 18.4 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री में बाधा उत्पन्न करेगा। निजी कंपनी के ढांचे के साथ टाटा संस के शेयरधारक कंपनी की अनुमति से ही शेयर बेच सकेंगे, ऐसे में मिस्त्री के लिए शेयर बेचना मुश्किल हो गया। मिस्त्री की तरफ से वित्तीय संस्थानों को शेयर गिरवी रखने की योजना का भी टाटा संस ने विरोध किया। सर्वोच्च न्यायालय टाटा समूह की उस अपील पर सुनवाई कर रहा है, जो एनसीएलएटी ने पिछले दिसंबर में दिया था। एनसीएलएटी ने मिस्त्री को टाटा समूह के चेयरमैन के पद पर दोबारा प्रतिष्ठित कर दिाय था और एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को अवैध बताया था। मामले पर बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।
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