सेबी ने टाला सौदा निपटान अवधि घटाने का निर्णय! | श्रीमी चौधरी और समी मोडक / नई दिल्ली/मुंबई December 13, 2020 | | | | |
विदेशी निवेशकों के विरोध के बाद बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ट्रेड निपटान चक्र को घटाकर एक दिन (टी+1) करने की योजना को टाल दिया है। यह जानकारी नियामक से जुड़े सूत्र ने दी। पहले की योजना के अनुसार सेबी के निदेशक मंडल को 2020 की अंतिम बोर्ड बैठक में इस बारे में निर्णय लेना था। बुधवार को होने वाली सेबी के बोर्ड की बैठक में कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया के बाद कंपनियों को फिर से सूचीबद्घ करने के नियमों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
बोर्ड की बैठक में वित्त एवं कंपनी मामलों के मंत्रालयों के अधिकारी भी शामिल होंगे। सूत्रों ने कहा कि बजट से संबंधित कुछ प्रस्तावों पर भी सेबी में चर्चा होगी, ताकि से बजट भाषण का हिस्सा बनाया जा सके। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश कर सकती हैं। सूत्रों ने कहा कि आर्थिक वृद्घि को बढ़ावा देने के लिए पूंजी बाजार से संबंधित उपायों पर भी चर्चा की जा सकती है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) एवं घरेलू ब्रोकरों के संगठनों के प्रस्तुतिकरण के बाद टी+1 निपटान चक्र के निर्णय को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। एफपीआई का संगठन एशिया सिक्योरिटीज इंडस्ट्री ऐंड फाइनैंशियल एसोसिएशन ने सेबी और वित्त मंत्रालय को दो पत्र लिखकर परिचालन से जुड़ी कठिनाइयों का उल्लेख किया था और चेताया था कि इससे बड़े निवेशक देश में निवेश करने से हतोत्साहित हो सकते हैं।
बाजार नियामक सेबी ने ट्रेड निपटान चक्र के समय में बदलाव करने का विचार ऐसे वक्त में किया है जब घरेलू बाजार मेंं एफपीआई का निवेश रिकॉर्ड स्तर पर है। नवंबर से घरेलू शेयरों में घरेलू निवेशकों की ओर से 10 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश हो चुका है जो छह सप्ताह की अवधि में सर्वाधिक है।
हाल ही में सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा था कि टी+1 निपटान चक्र सभी के हित में है, हालांकि इस पर निर्णय सभी भागीदारों की राय के बाद ही लिया जाएगा। कम अवधि के टे्रड निपटान चक्र से पूंजी को मुक्त करने में मदद मिलेगी, जिससे मेक द मार्केट ज्यादा दक्ष होगा और डिफॉल्ट का जोखिम भी कम होगा। सेबी द्वारा अग्रिम मार्जिन नियमों को सख्त बनाए जाने के बाद इस कदम को महत्त्वपूर्ण माना जा रहा था।
मौजूदा समय में घरेलू शेयर बाजार में टी+1 निपटान चक्र का अनुपालन किया जाता है। इसमें सौदा ट्रेडिंग के दिन के दो दिन बाद पूरा होता है।
इस बीच सेबी के कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया के नियमों में बदलाव से रुचि सोया के शेयरों में खासी तेजी आई है। पातंजलि आयुर्वेद द्वारा खरीदने जाने के बाद दोबारा सूचीबद्घ होने के बाद रुचि सोया के शेयर में 450 गुना से ज्यादा तेजी आई है। शेयर में इतनी तेजी के बाद सेबी और स्टॉक एक्सचेंज को नियमों पर पुनर्विचार करने को लेकर बहस हो रही है।
अगस्त में सेबी ने परिचर्चा पत्र जारी कर दोबारा सूचीबद्घ होते समय न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता को 5 फीसदी पर रखने या छह महीने के अंदर इसे बढ़ाकर 10 फीसदी करने की शर्त पर प्रतिक्रिया मांगी थी।
वर्तमान में सेबी कंपनियों को कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया के तहत सूचीबद्घता के लिए 18 महीने के अंदर न्यूनतम शेयरधारिता को 10 फीसदी करने और अगले 18 महीने में उसे 25 फीसदी करने की अनुमति दी है।
सूत्रों के अनुसार सेबी की बोर्ड बैठक में कारोबारी संचालन में सुधार के लिए खुलासा दिशानिर्देशों में संशोधन पर भी विचार-विमर्श होगा।
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