2021 में रह सकता है मिड, स्मॉलकैप का दबदबा | पुनीत वाधवा और दीपक कोरगांवकर / नई दिल्ली/मुंबई December 11, 2020 | | | | |
कैलेंडर वर्ष 2021 मिडकैप व स्मॉलकैप के लिए अहम रह सकता है। यह कहना है विश्लेषकों का, जिन्हें उम्मीद है कि बीएसई मिडकैप व स्मॉलकैप सूचकांक करीब दो साल के अंतराल के बाद नए उच्चस्तर को छू लेगा। विश्लेषकों ने बाजार में रुक-रुककर हो रही गिरावट को लेकर चेताया, लेकिन कहा कि बाजार में बढ़त का ट्रेंड बना रह सकता है।
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों ने कहा, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की रफ्तार में लगातार तीन साल से हो रही गिरावट, नोटबंदी और जीएसटी जैसे अवरोधात्मक कदम, एनबीएफसी का संकट, रेरा के क्रियान्वयन के बाद रियल एस्टेट में गिरावट और कोविड-19 महामारी ने मिडकैप व स्मॉलकैप कंपनियों के लिए बुरी खबरों की बौछार कर दी थी।
मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने हालिया नोट में कहा है, इतिहास में कभी भी छोटी कंपनियोंं के लिए इतना दबाव वाला वक्त नहीं रहा जितना पिछले तीन साल में देखा गया है। उनका कारोबारी मॉडल एकसाथ लगे ऐसे झटकों को झेलने में सक्षम नहीं था। इस बीच, बड़ी कंपनियों को फायदा हुआ। लार्जकैप के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन में ये चीजें इन वर्षों में प्रतिबिंबित हुई है।
पिछले कुछ महीनों में हालांकि निवेशकों की धारणा इन दो क्षेत्रों की ओर नजर आई है। पिछले महीने ही एसऐंडपी बीएसई मिडकैप इंडेक्स 13 फीसदी चढ़ा जबकि एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स में 8 फीसदी का इजाफा हुआ। सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों/बैंंकिंग शेयर पसंदीदा शेयर रहे हैं और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी सेल, केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बीएचईएल और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स में इस दौरान 25 से 44 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
विश्लेषक इस बढ़ोतरी की कई वजहें बता रहे हैं, खास तौर से इन दोनों क्षेत्रों में खुदरा निवेशकों की तरफ से दिखी दिलचस्पी। उनका मानना है कि आने वाले समय में आर्थिक सुधार से इन दोनों क्षेत्रों की कंपनियां लाभान्वित होंगी।
कारोबारी गतिविधियां बहाल होने के बाद ज्यादातर अर्थशास्त्री साल 2021 के आर्थिक बढ़त के आंकड़े संशोधित कर रहे हैं। उदाहरण के लिए नोमूरा को उम्मीद है कि साल 2021 में भारत एशियाई क्षेत्रों में सबसे तेज गति से आगे बढऩे वाली अर्थव्यवस्था होगी और कैलेंडर वर्ष 2021 मेंं जीडीपी की रफ्तार 9.9 फीसदी रहने का अनुमान है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक व मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, काफी निवेशकों ने म्युचुअल फंडों से अपना निवेश निकाला है और सीधे इक्विटी में रकम झोंकना शुरू कर दिया है, खास तौर से इन दोनों क्षेत्रों में। ऐसे में इनमें उछाल देखी जा रही है। यह कुछ और समय तक जारी रहेगा।
बाजार में आशावाद का एक कारण जुलाई-सितंबर तिमाही के उम्मीद से बेहतर आंकड़ा था, जब कंपनियोंं को कच्चे माल की कीमतों में कमी का फायदा मिला। एडलवाइस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख (संस्थागत इक्विटी) आदित्य नारायण ने कहा, ज्यादातर स्मॉलकैप व मिडकैप कंपनियों की सितंबर तिमाही की आय और परिदृश्य उम्मीद से बेहतर रहे। अहम यह है कि इस वजह से मिडकैप-स्मॉलकैप केहमारे कवरेज के करीब 63 फीसदी के लिए वित्त वर्ष 2022 की आय केमोर्चे पर 5 से 20 फीसदी का अपग्रेड हुआ जबकि अन्य 10 फीसदी मिड व स्मॉलकैप की आय में 20 फीसदी का अपग्रेड।
मंगलवार को एसऐंडपी बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 52 हफ्ते के उच्चस्तर को छू गया, लेकिन यह अभी भी 15 जनवरी, 2018 के अब तक के सर्वोच्च स्तर 10,183 अंक से 14 फीसदी पीछे है। दूसरी ओर, एसऐंडपी बीएसई मिडकैप इंडेक्स 9 जनवरी, 2018 के अपने सर्वोच्च स्तर 18,321 अंक से महज 4 फीसदी पीछे है।
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