फ्रांस की ऊर्जा कंपनी ईडीएफ अब भारत के शीर्ष 15 अक्षय ऊर्जा परियोजना डेवलपरों में शामिल हो गई है। कैप 2030 रणनीति के तहत कंपनी ने अपने अक्षय ऊर्जा पोर्टफोलियो को 2015 के 25 गीगावॉट से बढ़ाकर 2030 में 50 गीगावॉट करने का लक्ष्य रखा है। ईडीएफ रिन्यूएबल्स के एशिया प्रशांत के वाइस प्रेसीडेंट पैट्रिक चैरिगनन ने कहा, 'समूह के लिए भारत महत्त्वपूर्ण बाजार है, खासकर अक्षय ऊर्जा में सौर एवं पवन ऊर्जा के हिसाब से। भारत के 2022 तक 220 गीगावॉट गैर जीवाश्म ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य पर पहुंचने को लेकर हमारी मजबूत प्रतिबद्धता है।' ईडीएफ रिन्यूएबल्स ने ईडीईएन रिन्यूएबल्स के माध्यम से भारत के लिए अपनी महत्त्वाकांक्षी योजना बनाई है, जिसके लिए 2016 में टोटल इरेन के साथ संयुक्त उद्यम बना। 2019 में कंपनी ने उत्तर भारत में 716 एमडब्ल्यूपी स्थापित क्षमता की 4 सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 25 साल के दीर्घावधि बिजली खरीद समझौता (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए। ईडीईएन रिन्यूएबल की इस समय विकास के चरण में, निर्माणाधीन और परिचालन वाली कुल परियोजनाओं की क्षमता 2,200 एमडब्ल्यूपी (मेगावॉट पीक) है, जो राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फैैली है। अप्रैल और जुलाई 2020 के बीच ईडीईएन रिन्यूएबल इंडिया को बोली के माध्यम से दो 450 एमडब्ल्यूपी1 सोलर पीवी प्रोजेक्ट मिले, जिसका आयोजन भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई 8 और एसईसीआई 9) ने किया था और एक 450 एमडब्ल्यूपी1 सोलर वीपी प्रोजेक्ट की बोली राष्ट्रीय पनबिजली निगम (एनएचपीसी) ने किया था, जिसके लिए एनएचपीसी के साथ 25 साल का पीपीए अगस्त में हुआ। चैरिगनन के मुताबिक पवन और सौर ऊर्जा की नीलामी में मिला पीपीए शुल्क विश्व में सबसे प्रतिस्पर्धी है। उन्होंने कहा, 'भारत के पीपीए में भुगतान पूरी तरह से भारतीय रुपये में होता है और सामान्यतया इसमें महंगाई दर शामिल नहीं होती। ऐसे में दरें 25 साल तक एकसमान बनी रहती हैं।' भारत में हाल की पवन परियोजना में 2.77 रुपये प्रति यूनिट की बोली लगाई थी। कंपनी राजस्थान की 1,350 मेगावॉट क्षमता के संयंत्र से 2020 से 2.37 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से आपूर्ति करेगी। चैरिगनन ने कहा कि भारत में सरकार के लक्ष्य को पूरा करने के हिसाब से सही काम चल रहा है। सरकार ने 2022 तक 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता होगी। दीर्घावधि योजना के तहत 2030 तक 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करनी है। इसका मतलब है कि इस क्षेत्र में सालाना 15 प्रतिशत क्षमता बढ़ोतरी होगी, जो 10 प्रतिशत के करीब के वैश्विक औसत की तुलना में बहुत ज्यादा है।
