ऐक्सिस बैंक में सूटी की और हिस्सेदारी घटाएगी सरकार | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली December 08, 2020 | | | | |
सरकार स्पेसिफाइड अंउरटेकिंग ऑफ द यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (सूटी) के जरिये ऐक्सिस बैंक में 0.4 फीसदी से 0.7 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। एक प्रमुख अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यदि निजी क्षेत्र के इस बैंक के शेयर में आई हालिया तेजी जारी रही तो सरकार बिक्री पर विचार कर सकती है।
सरकार सूटी के जरिये ऐक्सिस बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 4 दिसंबर तक 3.92 फीसदी कर चुकी है जो 26 नवंबर को 4.24 फीसदी थी। सरकार की योजना निजी क्षेत्र के तीसरे सबसे बड़े बैंक में सूटी के जरिये 0.7 फीसदी से 1 फीसदी हिस्सेदारी घटाने की है। वह करीब 0.3 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर करीब 595 करोड़ रुपये पहले ही जुटा चुकी है। जबकि अतिरिक्त 0.4 फीसदी से 0.7 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को 800 से 1,300 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिलेगी। अधिकारी ने बताया कि उसके बाद ऐक्सिस बैंक में सूटी की हिस्सेदारी घटकर 3.2 फीसदी से 3.5 फीसदी के दायरे में रह जाएगी।
अधिकारी ने बताया कि सरकार ने इसके शेयर मूल्य को 600 रुपये के स्तर तक पहुंचने के लिए करीब छह महीने तक इंतजार करने के बाद यह निर्णय लिया है। हालांकि ऐक्सिस बैंक में सूटी की हिस्सेदारी घटाने का निर्णय पिछले साल ही ले लिया गया था।
ऐक्सिस बैंक का शेयर 25 मार्च 2020 को 52 सप्ताह के निचले स्तर 285 रुपये पर था। उसके बाद इस शेयर में सुधार हुआ और मंगलवार को यह 620 रुपये तक पहुंच गया।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौर में सरकार का विनिवेश कार्यक्रम पटरी से उतर चुका है। ऐसे में ऐक्सिस बैंक में सूटी की हिस्सेदारी घटाकर जुटाई गई रकम से सरकार को कुछ मदद मिलेगी। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण की योजना इस साल संभवत: पूरी नहीं हो पाएगी। सरकार ने इसके जरिये 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। इसमें से 90,000 करोड़ रुपये शेयरों की बिक्री और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) जैसी बड़ी कंपनियों के निजीकरण के जरिये जुटाने की योजना थी। इसके अलावा एलआईसी के आईपीओ और आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बिक्री के जरिये 1.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई गई थी। सरकार ऑफर फॉर सेल, शेयर पुनर्खरीद और आईपीओ के जरिये अब तक 6,533 करोड़ रुपये जुटा चुकी है।
कंपनियों की खुली पेशकश घटकर 9,000 करोड़ रुपये
सूचीबद्ध कंपनियों की खुली पेशकश चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 39 फीसदी घटकर करीब 9,000 करोड़ रुपये रह गई। सेबी की ताजा मासिक रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों द्वारा अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 8,973 करोड़ रुपये की 30 खुली पेशकश लाई गईं। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में कंपनियों ने 14,603 करोड़ रुपये की 40 खुली पेशकश की थीं। सेबी के नियमनों के अनुसार उल्लेखनीय संख्या में शेयरों के अधिग्रहण या सूचीबद्ध कंपनी के नियंत्रण में बदलाव की स्थिति में अधिग्रहण करने वाली कंपनी को सार्वजनिक शेयरधारकों के लिए खुली पेशकश लानी होती है, जिससे उन्हें कंपनी से बाहर निकलने का उचित अवसर मिल सके। खुली पेशकश प्रबंधन नियंत्रण में बदलाव, अपनी हिस्सेदारी को मजबूत करने या कंपनी में अधिग्रहण के लिए लाई जाती है। चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह में सबसे अधिक 8,959 करोड़ रुपये की खुली पेशकश प्रबंधन नियंत्रण में बदलाव के लिए लाई गईं। भाषा
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