तेल कंपनियों का खर्च लक्ष्य से कम | अमृता पिल्लई / मुंबई December 08, 2020 | | | | |
सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनियां कोविड-19 की बाधाओं और लंबे समय तक खिंचे मॉनसून के बावजूद साल भर के लिए अपने पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को पूरा करने की ओर बढ़ रही हैं। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि निवेश नियोजित खर्च के 40 फीसदी से अधिक हो चुका है।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एम के सुराना ने कहा, 'नवंबर के मध्य तक हम पहले ही पूरे साल के लिए कुल नियोजित पूंजीगत व्यय का 45 फीसदी खर्च कर चुके हैं।'
पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकारी कंपनियों ने अप्रैल से अक्टूबर 2020 की अवधि में संयुक्त रूप से 39,877 करोड़ रुपये खर्च किया जो पूरे साल के लिए 98,522 करोड़ रुपये के लक्ष्य का 40 फीसदी है।
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को उबारने के भारी दबाव में वित्त मंत्रालय ने सरकारी क्षेत्र की इकाइयों को अपनी गतिविधियों को बढ़ाने और सितंबर तक पूरे साले के पूंजीगत व्यय के लक्ष्य का 50 फीसदी खर्च करने का निर्देश दिया था।
भले ही सरकारी कंपनियां वित्त मंत्रालय के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने से चूक गईं, लेकिन विशेषज्ञों और कार्यकारियों की राय है कि क्रियान्वयन की दर सराहनीय है और ज्यादातर कंपनियों ने लक्ष्य को पूरा किया है।
डेलॉइट टुचे तोहमात्सु में पार्टनर देवाशिष मिश्रा ने कहा, 'यह एक अच्छा रुझान है। ज्यादातर तेल कंपनियों ने पूंजीगत व्यय के संदर्भ में दूसरी छमाही में बेहतर प्रदर्शन किया।'
पीपीएसी के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2019-20 की अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनियों ने वार्षिक लक्ष्य का 49.5 फीसदी खर्च किया। वित्त वर्ष 2019 में यह 56 फीसदी रहा था। इन कंपनियों ने पिछले दो वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय लक्ष्य को जल्दी पूरा किया।
एचपीसीएल के सुराना ने कहा, 'हमें पूरे साल के 11,500 करोड़ रुपये पंूजीगत व्यय के लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम बनना चाहिए।' वह उम्मीद जताते हैं कि कंपनी वर्ष का अंत लक्ष्य से थोड़ा अधिक यानी कि 12,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के साथ करेगी।
मार्च के अंत में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू परिवहन पर प्रतिबंध लगने और श्रमिकों की कमी होने से सभी कंपनियों की पूंजीगत व्यय संबंधी काम को धक्का लगा। सुराना ने कहा कि शुरुआती भय के कारण उपलब्ध श्रमिकों को भी रोक कर रखना मुश्किल हो गया।
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